एक स्थिर वैन (गाड़ी) की छत से लटके हुये सरल लोलक का दोलन काल $T$ है। यदि वैन नियत वेग से आगे बढ़े तो सरल लोलक का दोलनकाल हो जायेगा
$T$ से कम
$2T$
$T$ से अधिक
अपरिवर्तित रहेगा
एक धागे से लटकी हुई गेंद एक ऊर्ध्वाधर तल में इस प्रकार झूल रही है कि अंत्य स्थिति व निम्नवत स्थिति में इसके त्वरण का परिमाण समान है। अंत्य स्थिति में धागे के विक्षेप का कोण होगा :
एक व्यक्ति के पास एक हाथ घड़ी एवं एक पेण्डुलम वाली घड़ी है। यह व्यक्ति एक स्तम्भ पर खड़ा है। यह अचानक दोनों घड़ियों को ऊपर से छोड़ देता है तब
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
$(a)$ किसी कण की सरल आवर्त गति के आवर्तकाल का मान उस कण के द्रव्यमान तथा बल-स्थिरांक पर निर्भर करता है : $T=2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}}$ । कोई सरल लोलक सन्निकट सरल आवर्त गति करता है । तब फिर किसी लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर क्यों नहीं करता ?
$(b)$ किसी सरल लोलक की गति छोटे कोण के सभी दोलनों के लिए सन्निक सरल आवर्त गति होती है । बड़े कोणों के दोलनों के लिए एक अधिक गूढ़ विश्लेषण यह दर्शाता है कि $T$ का मान $2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}}$ से अधिक होता है । इस परिणाम को समझने के लिए किसी गुणात्मक कारण का चिंतन कीजिए |
$(c)$ कोई व्यक्ति कलाई घड़ी बाँधे किसी मीनार की चोटी से गिरता है । क्या मुक्त रूप से गिरते समय उसकी घड़ी यथार्थ समय बताती है ?
$(d)$ गुरुत्व बल के अंतर्गत मुक्त रूप से गिरते किसी केबिन में लगे सरल लोलक के दोलन की आवृत्ति क्या होती है ?
एक लोलक जिसकी लम्बाई $l$ है, के गोलक को पकड़कर $\theta $ कोण से विस्थापित करके छोड़ दिया जाता है। लोलक का मध्यमान स्थिति में वेग $v$ है, तब $v$ का मान है
किसी सरल लोलक का आवर्तकाल $T$ है। यदि इसे ऐसे ग्रह पर ले जाएँ जहाँ गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी का आधा तथा द्रव्यमान पृथ्वी का $9$ गुना हो तब उस ग्रह पर आवर्तकाल होगा