एक सरल दोलक एक गुटके से जुड़ा है जो $A B C$ की ढलान सतह पर बिना घर्षण के सरकता है। ढलान कोण $\alpha$ है। जब गुटका नीचे सरक रहा है तब दोलक इस प्रकार दोलन करता है कि अपनी औसत-स्थिति (mean position) पर रस्सी की दिशा
$AC$ सतह के लम्ब से $\alpha$ कोण पर होगी।
$AC$ सतह के समानान्तर होगी।
नीचे की ओर उर्ध्वाधर होगी।
$AC$ सतह के लम्बवत होगी।
एक चिम्पांजी किसी झूले पर बैठा हुआ झूल रहा है। यह अचानक झूले पर खड़ा हो जाता है तब आवर्तकाल
एक $r$ त्रिज्या का गोला, $R$ वक्रता त्रिज्या के अवतल दर्पण पर रखा है। इस व्यवस्था को क्षैतिज टेबिल पर रख दिया जाता है। यदि गोले को मध्यमान स्थिति से थोड़ा विस्थापित कर छोड दिया जाये तो वह सरल आवर्त गति करने लगता है। इसके दोलन का आवर्तकाल होगा (अवतल दर्पण का पृष्ठ घर्षण रहित एवं फिसलने वाला है न कि लुढ़कने वाला)
किसी स्थान पर किसी सरल लोलक का आवर्तकाल $T _{0}$ है। यदि इस लोलक की लंबाई घटाकर इसकी मूल लंबाई की $\frac{1}{16}$ गुनी कर दी जाए, तो परिवर्तित आवर्तकाल होगा।
एक सरल लोलक का दोलनकाल दोगुना हो जायेगा यदि इसकी लम्बाई