एक लोलक जिसकी लम्बाई $l$ है, के गोलक को पकड़कर $\theta $ कोण से विस्थापित करके छोड़ दिया जाता है। लोलक का मध्यमान स्थिति में वेग $v$ है, तब $v$ का मान है
$\sqrt{2 g l \cos \theta}$
$\sqrt {2gl(1 + \cos \theta )} $
$\sqrt {2gl(1 - \cos \theta )} $
$\sqrt{2 gl}$
एक सरल लोलक को विषुवत रेखा पर ले जाने पर इसका दोलनकाल
एक खोखले गोले को उसमें बने हुए एक छिद्र द्वारा पानी से भरा जाता है। तत्पश्चात् उसे एक लम्बे धागे द्वारा लटकाकर दोलायमान किया जाता है। जब तल में स्थित छिद्र से पानी धीरे-धीरे बाहर निकलता है, तो गोले का दोलनकाल
एक सैकण्ड लोलक रॉकेट में रखा हुआ है। इसके दोलनों का आवर्तकाल घटता जायेगा यदि रॉकेट
एक सैकण्डी लोलक को कृत्रिम उपग्रह की प्रयोगशाला में लटकाया गया है। यह उपग्रह पृथ्वी तल से $3R$ की ऊँचाई पर उड़ रहा है। यहाँ पर $R$ पृथ्वी की त्रिज्या है। इस लोलक का आवर्तकाल होगा
एक स्थिर वैन (गाड़ी) की छत से लटके हुये सरल लोलक का दोलन काल $T$ है। यदि वैन नियत वेग से आगे बढ़े तो सरल लोलक का दोलनकाल हो जायेगा