एक सैकण्डी लोलक को कृत्रिम उपग्रह की प्रयोगशाला में लटकाया गया है। यह उपग्रह पृथ्वी तल से $3R$ की ऊँचाई पर उड़ रहा है। यहाँ पर $R$ पृथ्वी की त्रिज्या है। इस लोलक का आवर्तकाल होगा
शून्य
$2\sqrt 3 $ सैकण्ड
$4$ सैकण्ड
अनन्त
“एक सरल लोलक सरल आवर्त गति कर रहा है” इसको प्रदर्शित करने के लिए यह मानना आवश्यक है। कि
एक सरल लोलक एक ट्रॉली की छत से लटका हुआ है। ट्रॉली क्षैतिज दिशा में $'a'$ त्वरण से गति कर रही है। सरल लोलक का आवर्तकाल $T = 2\pi \sqrt {\frac{l}{{g'}}} $ में $g'$ होगा
$l$ लंबाई का एक सामान्य दोलक $45^{\circ}$ अंश के आयाम से दोलन करता है। गुरुत्वीय त्वरण $g$ है। मान लीजिये $T_0=2 \pi \sqrt{l / g}$ है। इस दोलन का आवर्तकाल
यदि सरल लोलक का धातु का बना गोलक, लकड़ी के गोलक से बदल दिया जाए तब इसका आवर्तकाल
एक पेण्डुलम घड़ी पृथ्वी तल पर सही समय दिखाती है इसे चन्द्र तल पर ले जाया जाता है तब यह चलेगी (दिया है $g$ चन्द्रतल $= g$ पृथ्वी$/6$ )