एक डोरी दो स्थिर बिन्दुओं के बीच खिची है । इन बिन्दुओं के बीच की दूरी $75.0 \,cm$ है। इस डोरी की दो अनुनाद आवृत्तियाँ $420\, Hz$ तथा $315\, Hz$ है। इन दोनो के बीच में कोई अन्य अनुनाद आवृत्ति नहीं है, तो इस डोरी के लिए न्यूनतम अनुनाद आवृत्ति है
$105$
$155$
$205$
$10.5$
दोनों सिरों पर कसी $l$ लम्बाई की तनी हुयी डोरी में उत्पन्न अप्रगामी तरंग की तरंगदैध्र्य $\lambda $ है। तब
यदि किसी रस्सी को तीन खंडों में विभाजित करने पर उन खंडों की मूल आवृत्तियां क्रमश: $n _{1},n _{2}$ तथा $n _{3}$ हों, तो इस रस्सी की प्रारम्भिक मूल आवृति $n$ के लिए सम्बन्ध होगा
एक विद्यार्थी एक अनुनाद स्तम्भ तथा एक स्वरित्र द्विभुज (tuning fork), जिसकी आवृत्ति $244 s ^{-1}$ है, को उपयोग में लाते हुए एक प्रयोग करता है। उसे बताया गया है कि नली में वायु के स्थान पर एक अन्य गैस भरी हुई है। (मान लीजिए स्तम्भ सदैव गैस से भरा रहता है। यदि अनुनाद की स्थिति के लिए न्यूतनम ऊँचाई $(0.350 \pm 0.005) m$ है, तब नली में उपस्थित गैस है/है :
(उपयोगी सूचना) : $\sqrt{167 R T}=640 j ^{1 / 2} mole ^{-1 / 2} ; \sqrt{140 R T}=590 j ^{1 / 2} mole ^{-1 / 2}$ तथा प्रत्येक गैस के लिए उनके मोलर द्रव्यमान $M$ ग्राम का मान विकल्पों में दिए है। $\sqrt{\frac{10}{ M }}$ का मान जैसा कि वहाँ दिया गया है, वही प्रयोग करे।)
मेल्डी के प्रयोग में अनुप्रस्थ विधा में स्वरित्र की आवृत्ति और डोरी में उत्पन्न तरंग की आवृत्ति का अनुपात होगा
$1$ सेमी लम्बी डोरी $256$ हर्ट्ज मूल आवृत्ति के कम्पन करती है। तनाव को अपरिवर्तित रखते हुए यदि लम्बाई $1/4$ सेमी कर दी जाए तब नयी मूल आवृत्ति होगी