एक आदर्श गैस के उत्क्रमणीय चक्र $a \rightarrow b \rightarrow c \rightarrow d$, के लिये $V - T$ आरेख यहाँ दर्शाया गया है। प्रक्रम $d \rightarrow a$ तथा $b \rightarrow c$ रुद्धोष्म हैं।
तो, इस प्रक्रम के लिये, संगत $P - V$ आरेख होगा (सभी आरेख व्यवस्था आरेख हैं और स्केल के अनुसार नहीं हैं) :
एक आदर्श गैस का जिसका कि प्रारम्भिक ताप $300 K$ है, रुद्धोष्म प्रसारण किया जाता है जिससे उसका आयतन प्रारम्भिक आयतन का दुगना हो जाता है। हाइड्रोजन गैस का अन्तिम ताप होगा $(\gamma = 1.40)$
गैस को रुद्धोष्म रीति से संपीडित करने पर, संपीडन के दौरान इसकी विशिष्ट ऊष्मा होगी
एक गैस के $2$ मोल के प्रसार के दौरान गैस की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन $-50J$ है। प्रक्रम के दौरान किया गया कार्य ..... $J$ है
एक इंजिन, $20^{\circ} C$ ताप एवं $1$ वायुमंडलीय दाब पर $5$ मोल हवा लेकर मूल आयतन का $\frac{1}{10}$ रूद्धोष्म रूप से संपीड़ित करता है। हवा को दृढ़ अणुओं से बना द्विपरमाण्विक आदर्श गैस मानते हुए इस प्रक्रिया में आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन $XKJ$ है। $X$ का मान निकटतम पूर्णांक में है
किर्सी गैस को समतापीय रूप से उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है। इसी गैस को पृथक रूप से रुधोषम प्रक्रिया द्वारा उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है तब