समान्तर प्लेट संधारित्र की दोनों प्लेटों के बीच की जगह को एक परावैद्युत से पूरी तरह भर दिया जाता है। संधारित्र को आवेशित कर बैटरी से हटा लिया जाता है। इस परावैद्युत प्लेट को अब धीरे-धीरे संधारित्र के बाहर प्लेटों के समांतर खींचा जाता है। इस तरह बाहर खींचे गये परावैद्युत प्लेट की लम्बा तथा संधारित्र की प्लेटों के विभवान्तर के बीच खींचा गया ग्राफ होगा

  • A
    116-a8
  • B
    116-b8
  • C
    116-c8
  • D
    116-d8

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जब किसी संधारित्र की समान्तर पट्टिकाओं, जो बैटरी से जुड़ी हैं, के बीच एक परावैद्युत पदार्थ का स्लैब रखा जाता है, तो पट्टिकाओं के ऊपर आवेश पहले के आवेश की अपेक्षा

एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच का स्थान एक परावैद्युत से भरा जाता है जिसका परावैद्युत स्थिरांक दूरी के साथ निम्न सम्बन्ध अनुसार परिवर्तित होता है :

$K (x)= K _{ o }+\lambda x(\lambda=$ एक स्थिरांक $)$

संधारित्र की धारिता $C$, इसकी निर्वात धारिता, $C _{ O }$ के साथ निम्न सम्बन्ध अनुसार सम्बन्धित होगी

  • [JEE MAIN 2014]

एक परावैद्युत पट्टी को संधारित्र की प्लेटों के बीच रखते हैं, जबकि संधारित्र बैटरी से जुड़ा है, तब

एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों की बीच दूरी $0.01\, mm$ है तथा एक परावैद्युत, जिसकी परावैद्युत क्षमता $19\,  KV/mm$ है, प्लेटों के बीच एक कुचालक की तरह उपयोग किया गया है तो अधिकतम विभवान्तर जो संधारित्र की प्लेटों के मध्य आरोपित किया जा सके .......$V$ होगा

ध्रुवीय अणु ऐसे अणु होते हैं :

  • [NEET 2021]