एक संधारित्र को बैटरी द्वारा आवेशित करके बैटरी को विच्छेद कर देते हैं। संधारित्रों के पट्टिकाओंं के बीच डाइ-इलैक्ट्रिक (परावैद्युत) पट्ट सरकाते हैं, जिसके फलस्वरूप

  • A

    संधारित्र पट्टिकाओं पर आवेश में कमी तथा पट्टिकाओं पर विभवांतर में वृद्धि होती हैै

  • B

    पट्टिकाओं पर विभवांतर में वृद्धि, संचित ऊर्जा में कमी, परन्तु पट्टिकाओं पर आवेश में कोई परिवर्तन नहीं होता

  • C

    पट्टिकाओं पर विभवांतर में कमी, संचित ऊर्जा में कमी, परन्तु पट्टिकाओं के आवेश पर कोर्इ परिवर्तन नहीं होता

  • D

    उपरोक्त में से कोई नही

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यदि एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच $4 \times {10^{ - 3}}\,m$ मोटी एक कुचालक पट्टी रख दी जाये तो इसकी धारिता पूर्व मान पर लाने के लिए प्लेटों के मध्य दूरी $3.5 \times {10^{ - 3}}\,m$ से बढ़ानी पड़ती है। पदार्थ का परावैद्युतांक होगा

यदि समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच $t = d/2$ मोटाई की परावैद्युत पट्टी रख दी जाये तो, संधारित्र की धारिता पूर्व मान की $4/3$ गुनी हो जाती है। ($d$ प्लेटों के मध्य दूरी है) तो परावैद्युत पट्टी का परावैद्युतांक है

एक परावैद्युत पट्टी को संधारित्र की प्लेटों के बीच रखते हैं, जबकि संधारित्र बैटरी से जुड़ा है, तब

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एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता $50\,\mu F$ वायु माध्यम में रहती है। जब इसे किसी तेल में डुबाया जाता है तो धारिता $110\,\mu F$ हो जाती है, तो तेल का परावैद्युतांक होगा