किसी पतली धातु की पत्ती से बनाये गये संधारित्र की धारिता $2\,\mu F$ है। यदि पत्ती को $0.15\,mm$ मोटाई के कागज के साथ मोड़ दिया जाये जबकि कागज का परावैद्युतांक $2.5$ एवं कागज की चौड़ाई $400\,mm$ हो तो पत्ती की लम्बाई.......$m$ होगी
$0.34$
$1.33$
$13.4$
$33.9$
समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य की दूरी $d$ और क्षेत्रफल $A$ है। इसकी प्लेटों के मध्य $k$ परावैद्युतांक के पदार्थ की $t$ की मोटाई वाली $(t < d)$ एक शीट रखी जाती है, इसकी धारिता हो जाती है
एक समान्तर संधारित्र की प्लेटों के बीच पृथक्कृत नगण्य मोटाई की ऐल्युमीनियम की पत्ती रख दी जाती है। संधारित्र की धारिता
$20\,mu \,F$ धारिता वाले संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी $2\,mm$ है। यदि प्लेटों के बीच $1\,mm$ चौड़ा एवं $2$ परावैद्युतांक नियतांक वाला गुटका रख दिया जाये तब नयी धारिता.......$\mu \,F$ है
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य तेल भरा हुआ है (तेल का परावैद्युतांक$K = 2$ है) इसकी धारिता $C$ है। यदि तेल हटा लिया जाये तो संधारित्र की धारिता हो जायेगी
एक समान्तर प्लेट संधारित्र, जिसका क्षेत्रफल $A$, प्लेट अंतराल $d$ एवं धारिता $C$ है, को तीन परावैद्युत पदार्थों से भारा गया है। इनके परावैद्युतांक ${K_1},{K_2}$ और ${K_3}$ हैं। यदि केवल एक परावैद्युत पदार्थ का प्रयोग करके इस संधारित्र की वही धारिता $C$ प्राप्त करनी हो तो इसके परावैद्युतांक $k$ का समीकरण है