त्रिज्या $R_1$ वाले एक एकाकी चालक गोले की धारिता $n$ गुना हो जाती है, जब इसे $R _2$ त्रिज्या वाले, पृथ्वी से जुड़े हुए एक समकेन्द्रीय चालक गोले के अंदर रखा जाता है। उनकी त्रिज्याओं का अनुपात $\left(\frac{ R _2}{ R _1}\right)$ है:
$\frac{ n }{ n -1}$
$\frac{2 n}{2 n+1}$
$\frac{ n +1}{ n }$
$\frac{2 n+1}{n}$
$C$ धारिता की $n$ बूँदों को मिलाकर एक बड़ी बूँद बनायी गयी है, तो बड़ी बूँद में संचित ऊर्जा तथा प्रत्येक छोटी बूँद की ऊर्जा का अनुपात होगा
$C$ धारिता पर $V$ विभव की $64$ बूँदें मिलाकर एक बड़ी बूँद बनायी जाती है। यदि प्रत्येक छोटी बूँद पर $q$ आवेश हो, तो बड़ी बूँद पर आवेश होगा
धातु के दो आवेशित गोले जिनकी त्रिज्याएँ क्रमश: $20$ सेमी तथा $10$ सेमी हैं, प्रत्येक पर $150$ माइक्रो कूलॉम का धनावेश है। किसी चालक तार द्वारा दोनों गोलों को जोड़ दिए जाने के पश्चात् उभयनिष्ठ विभव होगा
दो जुड़े हुए आवेशित पिण्डों के बीच कोई धारा नहीं बहती जब उनमें समान होता है
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता निर्भर करती है