धातुओं से बने हुए दो गोले $S _{1}$ और $S _{2}$ जिनकी त्रिज्याएँ क्रमशः $R _{1}$ और $R _{2}$ है आवेशित है। यदि इसकी सतह पर विधुत क्षेत्र $E _{1}\left( S _{1}\right.$ पर $)$ तथा $E _{2}\left( S _{2}\right.$ पर $)$ ऐसे हैं कि $E _{1} / E _{2}= R _{1} / R _{2}$ तो इन पर स्थिर वैधुत वोल्टता $V _{1}\left( S _{1}\right.$ पर $)$ तथा $V _{2}\left( S _{2}\right.$ पर $)$ का अनुपात $V _{1} / V _{2}$ होगा :

  • [JEE MAIN 2020]
  • A

    $\left(\frac{\mathrm{R}_{2}}{\mathrm{R}_{1}}\right)$

  • B

    $\left(\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\right)^{3}$

  • C

    $\left(\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\right)$

  • D

    $\left(\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\right)^{2}$

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एक गोलीय चालक जिसकी त्रिज्या $2$ मीटर है, को $120\, V$ तक आवेशित किया गया। इसे अब $6$ मीटर त्रिज्या वाले अन्य खोखले गोलीय चालक के अन्दर रख दिया गया है। बड़े गोले का विभव ......$V$ होगा

$10\, C$ समान आवेश के क्रमश: $20\,cm$ और $15\,cm$ त्रिज्या के दो विद्युत रोधित गोलों को एक ताँबे के तार से जोड़कर फिर अलग कर लिया जाता है तो

दो बड़ी ऊर्ध्वाधर (vertocal) व संमातर धातु प्लेटों के बीच $1 \ cm$ की दूरी है। वे $X$ विभंवातर के $D C$ स्त्रोत से जुड़ी हैं। दोनों प्लेंटो के मध्य एक प्रोटॉन को स्थिर- अवस्था में छोड़ा जाता है। छोड़े जाने के तुरंत बाद प्रोटॉन ऊर्ध्व से $45^{\circ}$ कोण बनाता हुआ गति करता है। तब $X$ का मान लगभग है :

  • [IIT 2012]

$9 \times 10^{-13} \mathrm{~cm}$ त्रिज्या के एक परमाणु नाभिक $(\mathrm{z}=50)$ के पृष्ठ पर वैद्युत विभव . . . . . . . .  $\times 10^6 \hat{V}$ है।

  • [JEE MAIN 2024]

तीन संकेन्द्री धातु कोष $A, B$ तथा $C$ जिनकी त्रिज्यायें क्रमशः $a$, $b$ तथा $c(a< b< c)$ हैं, का पृष्ठ-आवेश-घनत्व क्रमश : $+\sigma$ $-\sigma$ तथा $+\sigma$ है। कोष $B$ का विभव होगा

  • [JEE MAIN 2018]