$10 \,cm$ भुजा वाले समबाहु त्रिभुज $ABC$ के शीर्षों पर क्रमश: $1\,\mu C, - 1\,\mu C$ तथा $2\,\mu C$ आवेश वायु में रखे गये हैं। शीर्ष $C$ पर स्थित आवेश पर परिणामी बल......$N$ होगा
$0.9$
$1.8$
$2.7 $
$3.6$
${E_{ckgj}} = \frac{{kQ}}{{{r^2}}}$आवेशों $4Q$, $q$ तथा $Q$ को $x$-अक्ष के अनुदिश क्रमश: $x = 0$, तथा $x = l$ पर रखा जाता है। $q$ का वह मान, ताकि आवेश $Q$ पर लगने वाला बल शून्य हो, होगा
चित्र में दिखाए अनुसार धनात्मक बिंदु आवेशों को एक तारा-आकार के शीर्षों पर रखा जाता है। तारे के केंद्र $O$ पर स्थित एक ॠणात्मक बिंदु आवेश पर स्थिर वैद्युत बल की दिशा क्या होगी ?
एक धनात्मक आवेशित लम्बे सीधे तार द्वारा $r$ दूरी पर विद्युत क्षेत्र का मान $r^{-1}$ के समानुपाती है। ऐसे एक लम्बे सीधे तार के चारों ओर दो इलेक्ट्रान $1 \,\mathring A$ और $2 \,\mathring A$ त्रिज्या वाली वृतीय कक्षाओं में परिक्रमण करते है। इनके आवर्तकाल का अनुपात निम्न है
किसी दूरी पर स्थित एक इलेक्ट्रॉन एवं एक प्रोटॉन के बीच लगने वाले कूलॉम के स्थैतिक वैद्युत बल एवे गुरुत्वीय बल का अनुपात $2.4 \times 10^{39}$ है। अनुक्रमानुपाती स्थिरोंक $K =\frac{1}{4 \pi \varepsilon_0}$. का गुरुत्यीय स्थिरांक $G$ से अनुपात का मान लगभग होगा : (दिया है, प्रोयॉन एवे इलेक्ट्रॉन प्रत्येक पर आवेश $=1.6 \times 10^{-19}\,C$, इलेक्ट्रॉन का व्रव्यमान $=9.11 \times 10^{-31}\,kg$, प्रोटॉन का द्रव्यमान $=1.67 \times 10^{-27}\,kg$ )
अक्षीय स्थिति में एक दिया गया आवेश, वैद्युत द्विध्रुव से कुछ दूरी पर रखा गया है तो उस पर $F$ बल कार्य करता है। यदि आवेश को दुगनी दूरी पर रखा जाता है, तो उस पर लगने वाला बल होगा