चित्र में एक आवेशित पिण्ड से निकलने वाली वैद्युत बल रेखाएँ दिखाई गई हैं। यदि $A$ तथा $B$ पर वैद्युत क्षेत्र क्रमश: ${E_A}$ व ${E_B}$ हों तथा $A$ व $B$ के बीच की दूरी $r$ है तो
${E_A} > {E_B}$
${E_A} < {E_B}$
${E_A} = \frac{{{E_B}}}{r}$
${E_A} = \frac{{{E_B}}}{{{r^2}}}$
एक घनाकार आयतन सतहों $\mathrm{x}=0, \mathrm{x}=\mathrm{a}, \mathrm{y}=0$, $\mathrm{y}=\mathrm{a}, \mathrm{z}=0, \mathrm{z}=\mathrm{a}$ से परिबद्ध है। इस प्रभाग में विधुत क्षेत्र $\overrightarrow{\mathrm{E}}=\mathrm{E}_0 \mathrm{x} \hat{\mathrm{i}}$ दिया गया है, जहाँ $\mathrm{E}_0=4 \times 10^4 \mathrm{NC}^{-1} \mathrm{~m}^{-1}$ है। यदि $\mathrm{a}=2 \mathrm{~cm}$ है तो घनाकार आयतन में परिबद्ध आवेश $\mathrm{Q} \times 10^{-14} \mathrm{C}$ है। $\mathrm{Q}$ का मान______________ है। $\left(\epsilon_0=9 \times 10^{-12} \mathrm{C}^2 / \mathrm{Nm}^2\right)$
एक वर्ग $($भुजा $= L$ मी$)$ कागज के तल में है। एक वैधुत क्षेत्र $E$ कागज के तल में है तथा आधा वर्ग घेरता है। तो पृष्ठ से निकलने वाला वैधुत फ्लक्स होगा :-
एकसमान पृष्ठीय आवेश घनत्व $\sigma_{+}$व $\sigma_{-}$वाली दो आवेशित पतली अनन्त लम्बी समतलीय शीटों पर विचार कीजिये जहाँ $\left|\sigma_{+}\right|>\left|\sigma_{-}\right|$है, तथा ये आपस में समकोण पर प्रतिच्छेदित करती है। इस निकाय के लिये विधुत क्षेत्र रेखाओं का सर्वाधिक सही चित्रण होगा:-
मुक्त आकाश के एक क्षेत्र में विद्युत क्षेत्र दिया जाता हैं $\overrightarrow{ E }= E _{ o } \hat{i}+2 E _{ o } \hat{j}$ जहाँ $E _{0}=100 \;N / C$ । $Y - Z$ तल के समान्तर $0.02 \;m$ त्रिज्या के वृत्तीय पृष्ठ से गुजरने पर इस विद्युत क्षेत्र का फ्लक्स लगभग हैं :
एक आवेश Q को एक घन के किनारे पर रखा जाता है। इसकी प्रत्येक फलक से निकलने वाला वैधुत फ्लक्स होगा :