चित्रानुसार, चार आवेशों को वर्ग $ABCD$ के कोनों पर रखा गया है। केन्द्र $O$ पर रखे आवेश पर बल हैं
शून्य
विकर्ण $AC$ के अनुदिश
विकर्ण $BD$ के अनुदिश
भुजा $AB$ के लम्बवत्
दो समरूप चालक गोलों $A$ व $B$ पर समान आवेश हैं। प्रारम्भ में उनके बीच की दूरी उनके व्यासों से बहुत अधिक है तथा उनके बीच बल $F$ है। $C$ इसी तरह का एक तीसरा गोला है जो आवेशहीन है। गोले $C$ को पहले $A$ से स्पर्श कराते हैं, फिर $B$ से स्पर्श कराते हैं और फिर हटा देते हैं। इस प्रकार से $A$ और $B$ के बीच बल का मान होगा
$5\,\mu C , 0.16\,\mu C$ और $0.3\,\mu C$ परिमाण के तीन बिन्दु आवेश, एक समकोण त्रिभुज के कोनों $A , B$ और $C$ पर क्रमश: रखें है, जिसकी भुजाऐं $AB =3\,cm$, $BC =3 \sqrt{2}\,cm$ और $CA =3\,cm$ है, एवं $A$ बिन्दु उसके समकोण वाले कोने पर है। बिन्दु $A$ पर रखा आवेश, बाकी दो आवेशों के कारण $.......N$ के स्थिर वैद्युत बल का अनुभव
दो समान आवेशित कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान $10\,g$ तथा आवेश $2.0 \times 10^{-7}\,C$ कूलाम है, एक क्षैतिज मेज पर $L$ दूरी पर सीमित संतुलन की स्तिथि में स्थित है। यदि प्रत्येक कण और मेज के मध्य घर्षण गुणांक $0.25$ है तो $L$ का मान $........$ $\left[ g =10\,ms ^{-2}\right]$
तीन बिन्दु आवेश एक समबाहु त्रिभुज के शीर्षों पर रखे गये हैं। केवल स्थिर विद्युतीय बल को कार्यरत मानते हुये
${F_g}$ और ${F_e}$ क्रमश: गुरुत्वीय और स्थिर वैद्युत बल $10$ सेमी की दूरी पर स्थित इलेक्ट्रॉन के मध्य दर्शाते हैं, तो ${F_g}/{F_e}$ अनुपात की कोटि होगी