एक चुम्बक को चार समान भागों में इस प्रकार विभाजित किया जाता है कि प्रत्येक छोटे भाग की लम्बाई एवं चौड़ाई, प्रारम्भिक मान की आधी हो जाती है तो प्रत्येक भाग का ध्रुव सामथ्र्य होगा
$m/4$
$m/2$
$m/8$
$4m$
$2$ सेमी लम्बी छड़ चुम्बक के अक्ष के लम्बवत्, विपरीत और उसके केन्द्र से $ x $ तथा $3x $ दूरियों पर दो बिन्दु $A$ व $B$ स्थित हैं $A$ व $B$ पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात होगा, लगभग
एक लोहे की छड़ $(5\,cm \times 1\,cm \times 1\,cm)$ के प्रत्येक परमाणु का चुम्बकीय आघूर्ण $1.8 \times {10^{ - 23}}\,A{m^2}$ है। यदि लोहे का घनत्व $7.78 \times {10^3}\,k{g^{ - 3}}\,m$ एवं परमाणु भार $56$ है, एवं एवोगेड्रो संख्या $6.02 \times {10^{23}}$ है तब संतृप्त अवस्था में छड़ का चुम्बकीय आघूर्ण .....$A{m^2}$ होगा
अक्षीय स्थिति में लम्बाई $d$ के दो तनु चुम्बकीय द्विध्रुवों के मध्य बिन्दुओं को $x$ दूरी पर रखा गया है $(x > > d )$ दोनों के बीच बल $x^{- n }$ के समानुपाती है, जहाँ $n$ है :
एक लघु छड़ चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को पृथ्वी के उत्तर की ओर रखने पर उदासीन बिन्दु क्षैतिज तल में किसी बिन्दु $P $ पर मिलता है। यदि चुम्बक को क्षैतिज तल में $90°$ से घुमा दिया जाये तो बिन्दु $P$ पर कुल चुम्बकीय प्रेरण होगा (पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक = ${B_H}$)
एक नाल चुम्बक (अर्द्धवृत्ताकार) चुम्बक के ध्रुवों के बीच की दूरी $0.1\, m$ है एवं ध्रुव सामथ्र्य $0.01\, amp-m$ है। ध्रुवों के बीच में मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय प्रेरण होगा