स्प्रिंग् वाली घड़ी को चन्द्रमा की सतह पर ले जाने से यह
तेज चलेगी
धीमी चलेगी
कार्य नहीं करेगी
कोई परिवर्तन नहीं दिखाती
स्प्रिंग् के दोलनों का आवर्तकाल गुरुत्व पर निर्भर नहीं करता है।
दिये गये चित्र में $\mathrm{M}$ द्रव्यमान के गुटके की सरल आवर्त गति का आवर्तकाल $\pi \sqrt{\frac{\alpha \mathrm{M}}{5 \mathrm{~K}}}$ है, जहाँ $\alpha$ का मान. . . . . . . . . . है।
चित्र में ${S_1}$ व ${S_2}$ दो सर्वसम स्प्रिंग् हैं। द्रव्यमान $m$ की दोलन आवृत्ति $f$ है। यदि एक स्प्रिंग् को हटा दिया जाये तो आवृत्ति हो जायेगी
एक $6.4\, N$ के बल द्वारा एक ऊध्र्वाधर स्प्रिंग की लम्बाई में $0.1 \,m$ की वृद्धि होती है। ऊध्र्वाधर स्प्रिंग से कितना …. $kg$ द्रव्यमान लटकाया जाये ताकि यह $\left( {\frac{\pi }{4}} \right)sec$ के आवर्तकाल से दोलन करे
एक $60\, kg$ भार का व्यक्ति चित्रानुसार एक स्प्रिंग तुला के क्षैतिज प्लेट फार्म पर खड़ा है। अब प्लेट फार्म $0.1\, m$ आयाम एवं $\frac{2}{\pi }Hz$ आवृत्ति से सरल आवर्त गति करने लगता है। निम्न में से कौन सा कथन सही है
एक स्प्रिंग (कमानी) का कमानी स्थिरांक $k$ है। इसको तीन भागों में काट दिया गया है जिनकी लम्बाइयों का अनुपात $1: 2: 3$ है। इन तीनों भागों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर, संयोजन का कमानी स्थिरांक $k^{\prime}$ तथा समान्तर क्रम में जोड़ने पर $k ^{\prime \prime}$ है तो, अनुपात $k ^{\prime}: k ^{\prime \prime}$ होगा :
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