$r$ तथा $R$ त्रिज्या $( > r)$ के दो संकेन्द्रीय एवं खोखले गोलों पर आवेश $Q$ इस प्रकार से वितरित है कि इनके पृष्ठीय आवेश घनत्व समान हैं। इनके उभयनिष्ठ केन्द्र पर विभव होगा

  • A

    $\frac{{Q({R^2} + {r^2})}}{{4\pi {\varepsilon _0}(R + r)}}$

  • B

    $\frac{{QR}}{{R + r}}$

  • C

    शून्य

  • D

    $\frac{{Q(R + r)}}{{4\pi {\varepsilon _0}({R^2} + {r^2})}}$

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एक समरूप आवेश घनत्व $\rho$ वाले घन है में केंद्र पर लगने बाले विद्युत विभव तथा घन के एक कोने में लगने वाले विद्युत विभव का अनुपात क्या होगा?

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ऊष्मा संचालन की स्थायी अवस्था (steady state) में, ऊष्मा धारा $\vec{\jmath}(\vec{r})$ (प्रति क्षेत्रफल से प्रति सेकंड प्रवाहित होने वाली ऊष्मा) तथा तापमान $T(\vec{r})$ को किसी स्थान पर निर्धारित करने वाला समीकरण, विद्युत क्षेत्र $\vec{E}(\vec{r})$ तथा स्थिर वैद्युत विभव $V(\vec{r})$ को निर्धारित करने वाले समीकरण के जैसा ही दिखता है। इन चरों की आपस में तुल्यता नीचे सारणी में दर्शाई गई है।

ऊष्मा संचरण स्थिर वैद्युत
$T( r )$ $V( r )$
$j ( r )$ $E ( r )$

इस तुल्यता की सहायता से समान ताप पर रखे गए किन्तु भिन्न भिन्न त्रिज्याओं के गोलों की सतह से प्रवाहित होने वाली कुल ऊष्मा की दर $\dot{Q}$ का अनुमान लगाया जाता है। यदि $\dot{Q} \propto R^n$, जहां $R$ त्रिज्या है, तो $n$ का मान होगा

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एक आवेश $Q$ को दो भागों में $q$ और $Q - q$ में विभाजित किया जाता है। अलग करने पर दोनों आवेशों के बीच का कूलॉम बल अधिकतम तब होगा जब अनुपात $Q/q$ का मान होगा

$R$ त्रिज्या के पतले अर्द्धवलय पर $q$ आवेश एकसमान रूप से वितरित है। वलय के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र है