यदि $V$ वोल्ट के स्रोत से $n$ संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हैं, तब इस निकाय में संचित ऊर्जा है
$CV$
$\frac{1}{2}nC{V^2}$
$C{V^2}$
$\frac{1}{{2n}}C{V^2}$
$200\, V$ संभरण ( सप्लाई) से एक $600\, pF$ के संधारित्र को आवेशित किया जाता है। फिर इसको संभरण से वियोजित कर देते हैं तथा एक अन्य $600 \,pF$ वाले अनावेशित संधारित्र से जोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया में कितनी ऊर्जा का हास होता है?
श्रेणी क्रम में जुड़े (संयोजित ) $n_{1}$ संधारित्रों में प्रत्येक की धारिता $C_{1}$ है। इस संयोजन को $4\, V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। एक अन्य संयोजन में $n_{2}$ संधारित्रों को, जिनमें प्रत्येक की धारिता $C_{2}$ है, समान्तर (पाश्र्व) क्रम में जोड़कर, $V$ विभवान्तर के एक स्त्रोत से आवेशित किया गया है। यदि इन दोनो संयोजनों में संचित ऊर्जा समान (बराबर) हो तो $C_{1},$ के पदों $C_{2}$ का मान होगा
एक संधारित्र की क्षमता $4 \times {10^{ - 6}}$ फैराड है और इसका विभव $100$ वोल्ट है। इसे पूर्ण अनावेशित करने पर व्यय ऊर्जा ........जूल होगी
$6\,\mu F$ के संधारित्र को $10$ वोल्ट से $20$ वोल्ट के लिये आवेशित किया गया है, तो ऊर्जा वृद्धि होगी
$5\,\mu \,F$ धारिता वाले एक संधारित्र को $20\, kV$ के $d.c.$ स्रोत से जोड़ा गया है। संधारित्र को आवेशित करने के लिये आवश्यक ऊर्जा .......$kJ$ है