प्रत्येक आवेशित संधारित्र में ऊर्जा रहती है

  • A

    धन आवेश पर

  • B

    धन आवेश एवं ऋण आवेश दोनों पर

  • C

    पट्टिकाओं के मध्य क्षेत्र में

  • D

    संधारित्र की प्लेटों के सिरों पर

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एक आवेशित संधारित्र की प्लेटों के मध्य माध्य विद्युत ऊर्जा घनत्व है (यहाँ $q$= संधारित्र पर आवेश और $A$= संधारित्र की प्लेट का क्षेत्रफल)

धातु के एक गोले से उत्पत्र विद्युत क्षेत्र में संचित ऊर्जा का मान $4.5 \;J$ है। यदि गोले में निहित आवेश $4 \mu C$ हो तो उसकी त्रिज्या का मान होगा : [दिया है : $\left.\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}=9 \times 10^{9}\; N - m ^{2} / C ^{2}\right]$

  • [JEE MAIN 2017]

एक $4 \,\mu F$ के संधारित्र को $200\, V$ संभरण (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर संभरण से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित $2\, \mu F$ के संधारित्र से जोड़ा जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिरवैध्युत ऊर्जा का ऊष्मा और वैध्युत-चुंबकीय विकिरण के रूप में ह्ञास होता है?

एक समान्तर प्लेट संधारित्र बैटरी से जुड़ा है। इसकी प्लेटों को एकसमान चाल से दूर की ओर खींचा जाता है। यदि प्लेटों के बीच अन्तराल $x$ है, तो संधारित्र की स्थितिज ऊर्जा की समय के साथ परिवर्तन की दर निम्न में से किसके समानुपाती है

किसी संधारित्र को एक बैटरी से आवेशित किया जाता है। फिर बैटरी को हटाकर, इस संधारित्र से, समान्तर क्रम में ठीक ऐसा ही एक अन्य अनावेशित संधारित्र जोड़ दिया जाता है। तो, इस प्रकार बने परिणामी निकाय की कुल स्थिर वैधूत ऊर्जा ( पहले संधारित्र की तुलना में) :

  • [NEET 2017]