मेल्डी के प्रयोग में अनुप्रस्थ विधा में स्वरित्र की आवृत्ति और डोरी में उत्पन्न तरंग की आवृत्ति का अनुपात होगा
$1:1$
$1:2$
$2:1$
$4:1$
एक विद्यार्थी एक अनुनाद स्तम्भ तथा एक स्वरित्र द्विभुज (tuning fork), जिसकी आवृत्ति $244 s ^{-1}$ है, को उपयोग में लाते हुए एक प्रयोग करता है। उसे बताया गया है कि नली में वायु के स्थान पर एक अन्य गैस भरी हुई है। (मान लीजिए स्तम्भ सदैव गैस से भरा रहता है। यदि अनुनाद की स्थिति के लिए न्यूतनम ऊँचाई $(0.350 \pm 0.005) m$ है, तब नली में उपस्थित गैस है/है :
(उपयोगी सूचना) : $\sqrt{167 R T}=640 j ^{1 / 2} mole ^{-1 / 2} ; \sqrt{140 R T}=590 j ^{1 / 2} mole ^{-1 / 2}$ तथा प्रत्येक गैस के लिए उनके मोलर द्रव्यमान $M$ ग्राम का मान विकल्पों में दिए है। $\sqrt{\frac{10}{ M }}$ का मान जैसा कि वहाँ दिया गया है, वही प्रयोग करे।)
दी गई लम्बाई की किसी तनी हुयी डोरी का प्रथम अधिस्वरक $320Hz$ है इसका प्रथम संनादी होगा .... $Hz$
एक वाद्य-यंत्र में डोरी की लम्बाई $50 cm$ है तथा इसकी मूल आवृत्ति $800 Hz$ है। $1000 Hz$ की आवृत्ति उत्पन्न करने के लिए डोरी की लम्बाई ..... $cm$ होनी चाहिये
एक सोनोमीटर के तार $AB$ की लम्बाई $110$ सेमी है। दोनों सेतुओं को $A$ से कितनी दूरी पर रखा जाये ताकि इस प्रकार विभाजित तार के तीन खण्डों की मूल आवृत्तियाँ $1 : 2 : 3$ के अनुपात में हो
एक वाद्य यंत्र पर डोरी की लम्बाई $50 cm$ है तथा इसके मूल स्वर की आवृत्ति $270 Hz$ है। यदि $1000 Hz$ की आवृत्ति का स्वर उत्पन्न करना हो तो डोरी की लम्बाई ... $cm$ होनी चाहिए