मेल्डी के प्रयोग में अनुप्रस्थ विधा में स्वरित्र की आवृत्ति और डोरी में उत्पन्न तरंग की आवृत्ति का अनुपात होगा

  • A

    $1:1$

  • B

    $1:2$

  • C

    $2:1$

  • D

    $4:1$

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$392 Hz$ आवृत्ति का एक स्वरित्र $50 cm$ लम्बी तनी हुयी डोरी के साथ अनुनाद में है। यदि डोरी का तनाव नियत रखकर इसकी लम्बाई $2\%$ से हटा दी जाये और डोरी एवं स्वरित्र को पुन: एकसाथ कम्पित किया जाये तो उत्पन्न विस्पदों की संख्या होगी

किसी तनी हुयी डोरी में तरंग का वेग $2$ मी/सैकण्ड है। डोरी में अप्रगामी तरंगें बनती हैं जिनके निस्पंद $5$ सेमी दूरी पर हैं। डोरी के कम्पन की आवृत्ति हर्ट्ज में होगी

एक सोनोमीटर तार के मुक्त सिरे से $50.7 kg$ द्रव्यमान लटकाने से उसमें तनाव उत्पन्न होता है। लटके हुये द्रव्यमान का आयतन  $0.0075\, m^3$ है एवं तार के कम्पनों की मूल आवृत्ति $260 Hz$ है यदि लटके हुये द्रव्यमान को पूर्णत: जल में डुबो दिया जाये तो मूल आवृत्ति हो .... $Hz$ जायेगी ($g = 10 ms{^{-2}}$) 

एक तने हुए तार में उत्पन्न आवृत्ति को $100\,Hz$ से $400\,Hz$ करने के लिए इसके तनाव को ... गुना बढ़ाना पडे़गा

एक वाद्य-यंत्र में डोरी की लम्बाई $50 cm$ है तथा इसकी मूल आवृत्ति $800 Hz$ है। $1000 Hz$ की आवृत्ति उत्पन्न करने के लिए डोरी की लम्बाई  ..... $cm$ होनी चाहिये

  • [AIIMS 2002]