मेल्डी के प्रयोग में अनुप्रस्थ विधा में स्वरित्र की आवृत्ति और डोरी में उत्पन्न तरंग की आवृत्ति का अनुपात होगा
$1:1$
$1:2$
$2:1$
$4:1$
क्योंकि दोनों स्वरित्र एवं डोरी अनुनाद की स्थिति में है।
इस्पात के दो तारों $A$ तथा $B$ में समान आवृत्ति की अनुप्रस्थ तरंगें उत्पन्न की जाती हैं। $A$ का व्यास $ B$ का दो गुना है तथा $A$ में तनाव $B$ के तनाव का आधा है। $A$ तथा $B$ में तरंग के वेगों का अनुपात है
एक सोनोमीटर तार के मुक्त सिरे से $50.7 kg$ द्रव्यमान लटकाने से उसमें तनाव उत्पन्न होता है। लटके हुये द्रव्यमान का आयतन $0.0075\, m^3$ है एवं तार के कम्पनों की मूल आवृत्ति $260 Hz$ है यदि लटके हुये द्रव्यमान को पूर्णत: जल में डुबो दिया जाये तो मूल आवृत्ति हो …. $Hz$ जायेगी ($g = 10 ms{^{-2}}$)
एक तरंग दृढ़ सिरे से परावर्तित होती है। परावर्तन के फलस्वरूप इसकी कला में परिवर्तन होगा
$0.5 m$ लम्बी एवं $2 × 10{^{-4}}\,kg$ द्रव्यमान की डोरी पर जब $20 N$ का तनाव आरोपित करते हैं तो उत्पन्न द्वितीय संनादी की आवृत्ति …. $Hz$ होगी
यदि किसी सोनोमीटर-तार का तनाव चार गुना कर दिया जाये तो तार की मूल आवृत्ति …. $times $ गुणक से बढ़ जाएगी
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