संलग्न चित्र में $CP$ एक तरंगाग्र को प्रदर्शित करती है। $AO$ तथा $BP$ दो किरणें हैं। बिन्दु $P$ पर किरण $BP$ तथा परावर्तित किरण $OP $ के बीच संपोषी व्यतिकरण के लिए $\theta $ की स्थिति होगी
$cos \theta = 3 \lambda /2d$
$cos \theta = \lambda /4d$
$sec \theta -cos \theta = \lambda /d$
$sec \theta -cos \theta = 4 \lambda /d$
किसी बिन्दुवत् स्रोत से निकलने वाली अपसारी किरणों से बनने वाला तरंगाग्र होता है
प्रकाश का एक समान्तर पुंज नीचे चित्र में दर्शाए गये अनुप्रस्थ-काट वाले पारदर्शी काँच के एक टुकड़े से टकराता है। निर्गत तरंगाग्र की सही आकृति होगी। (रेखांचित्र सांकेतिक है।)
प्रकाश का तरंग सिद्धांत किसने दिया
हाइगन की तरंगाग्र रचना से क्या नहीं समझाया जा सकता
किसी तरंग के तरंगाग्र की दिशा, तरंग गति के