दण्ड चुम्बक के लिए चुम्बकीय प्रेरण की बल रेखाएँ

  • A

    उत्तरी ध्रुव से निकलती हेैं तथा दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं

  • B

    दण्ड चुम्बक के भीतर और बाहर सतत रहती हैं

  • C

    उसके केन्द्र से वृत्तीय पथ पर निकलती हैं

  • D

    उत्तरी ध्रुव से केवल उत्सर्जित होती हैं, जैसे प्रकाश बल्ब से प्रकाश किरणें

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चुम्बकीय आघूर्ण $1.0\, A-m^2$ के दो एकसमान चुम्बकीय द्विध्रुवों के अक्षों को एक-दूसरे के लम्बवत् रखा गया है जिससे उनके केन्द्रों के बीच की दूरी $2\,m$ है । द्विध्रुवों के बीच मध्य बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र होगा

दो चुम्बकों को चित्रानुसार समकोण पर जोड़ा गया हैं। चुम्बक $1$ का चुम्बकीय आघूर्ण, चुम्बक $2$ के चुम्बकीय आघूर्ण का $3$ गुना है। इस व्यवस्था को इस प्रकार कीलकित किया गया है कि यह क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है। संतुलन की स्थिति में चुम्बक $ 1$ चुम्बकीय याम्योत्तर से किस कोण पर होगा

$2$ सेमी लम्बी छड़ चुम्बक के अक्ष के लम्बवत्, विपरीत और उसके केन्द्र से $ x  $ तथा $3x $ दूरियों पर दो बिन्दु $A$ व $B$  स्थित हैं $A$ व $B$ पर चुम्बकीय क्षेत्रों का अनुपात होगा, लगभग

एक चुम्बकीय सुई  को एक असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है। यह अनुभव करती है

  • [AIEEE 2005]

नीचे दिए गए चित्रों में से कई में चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ गलत दर्शायी गई हैं [ चित्रो में मोटी रेखाएँ]। पहचानिए कि उनमें गलती क्या है? इनमें से कुछ में वैध्यूत क्षेत्र रेखाएँ ठीक-ठीक दर्शायी गई हैं। बताइए, वे कौन से चित्र हैं?