मान्रा दीर्घवृत्त $\mathrm{E}: \mathrm{x}^2+9 \mathrm{y}^2=9$ धनात्मक $\mathrm{x}$ तथा $\mathrm{y}$ अक्षों को क्रमशः बिंदुओं $\mathrm{A}$ तथा $\mathrm{B}$ पर काटता है। माना $E$ का दीर्घ अक्ष, वृत्त $C$ का एक व्यास है। माना बिंदुओं $\mathrm{A}$ तथा $\mathrm{B}$ से होकर जाने वाली रेखा, वृत्त $\mathrm{C}$ को बिंदु $\mathrm{P}$ पर मिलती है। यदि, त्रिभुज जिसके शीर्ष $A, P$ तथा मूल बिंदु $O$ हैं, का क्षेत्रफल $\frac{m}{n}$ है, जहाँ $\mathrm{m}$ तथा $\mathrm{n}$ असहभाज्य हैं, तो $\mathrm{m}-\mathrm{n}$ बराबर है
$18$
$16$
$17$
$15$
उस दीर्घवृत्त का समीकरण, जिसकी एक नाभि $(4,0)$ है एवं उत्केन्द्रता $\frac{4}{5}$ है, होगा
दीर्घवृत्त $4{x^2} + 9{y^2} = 1$ पर वे बिन्दु, जहाँ पर इसकी स्पर्श रेखाएँ, रेखा $8x = 9y$ के समान्तर हैं, है
यदि दीर्घवृत्त का नाभिलम्ब उसकी लघु अक्ष के आधे के बराबर हो, तो उसकी उत्केन्द्रता है
प्रतिबंधों को संतुष्ट करते हुए दीर्घवृत्त का समीकरण ज्ञात कीजिए
दीर्घ अक्ष की लंबाई $16,$ नाभियाँ $(0,\pm 6) .$
बिन्दु $(4, -3)$ की दीर्घवृत्त $4{x^2} + 5{y^2} = 1$ के सापेक्ष स्थिति है