एक आदर्श एक परमाणविक गैस के एक मोल निम्नलिखित चार उत्क्रमणीय प्रक्रियाओं से गुजरता है;
चरण $1$ - पहले रुद्रोष्म विधि से आयतन को $8.0 \,0m ^3$ से $1.0 \,m ^3$ तक संपीडित किया ज्ञाता है ।
चरण $2$ - तद्पथात आयतन को $T_1$ तापमान पर समतापीय तरीके से $10.0 \,m ^3$ तक विस्तारित किया जाता है ।
चरण $3$ - तद्पध्धात आयतन को रुद्रोप्म विधि से $80.0 \,m ^3$ तक विस्तारित किया जाता है ।
चरण $4$ - तद्पश्थात आयतन को $T_2$ तापमान पर समतापीय तरीके से $8.0 \,m ^3$ तक संपीडित किया जाता है । तब $T_1 / T_2$ है
$2$
$4$
$6$
$8$
निम्न $P-V$ वक्र में दो रुद्धोष्म वक्र दो समतापीय वक्रों को तापक्रम $T_1$ तथा $T_2$ पर काटते हैं। $\frac{{{V_a}}}{{{V_d}}}$ का मान होगा
सामान्य ताप व दाब पर $1$ मोल द्विपरमाण्विक गैस को रुद्धोष्म रीति से संपीड़ित करके इसका आयतन आधा कर दिया जाता है, तब गैस पर किया गया कार्य........ $J$ है ($\gamma = 1.41$)
किसी बेलन में भरी वायु को पिस्टन द्वारा अचानक संपीडित किया जाता है तथा पिस्टन को उसी स्थिति में रखा रहने दिया जाता है, तो समय के साथ
एक काल्पनिक गैस, रूद्धोष्म प्रक्रम द्वारा इस प्रकार प्रसारित होती है कि इसका आयतन $8$ लीटर से $27$ लीटर हो जाता है। यदि गैस के अंतिम दाब एवं इसके प्रारम्भिक दाब का अनुपात $\frac{16}{81}$ है तो अनुपात $\frac{\mathrm{C}_{\mathrm{p}}}{\mathrm{C}_{\mathrm{V}}}$ होगा:
किसी निकाय द्वारा किया गया कार्य इसकी आन्तरिक ऊर्जा में कमी के बराबर है। निकाय के परिवर्तन का प्रकार है