$1$ मोल हीलियम गैस रुद्धोष्म रीति से प्रारम्भिक अवस्था $({P_i},{V_i},{T_i})$ से अंतिम अवस्था $({P_f},{V_f},{T_f})$ तक प्रसारित होती है आंतरिक ऊर्जा में होने वाली कमी है
${C_V}({T_i} - {T_f})$
${C_P}({T_i} - {T_f})$
$\frac{1}{2}({C_P} + {C_V})(Ti - {T_f})$
$({C_P} - {C_V})({T_i} - {T_f})$
एक एकपरमाणुक आदर्श गैस एक क्षैतिज बत्रन (horizontal cylinder) में स्प्रिंग युक्त पिस्टन द्वारा बंद है (दर्शाये चित्रानुसार)। प्रारम्भ में गैस का तापमान $T_1$, दाव $P_1$ तथा आयतन $V_1$ है तथा स्प्रिंग विश्रांत अवस्था में है। अव गेस को बहुत धीरे-धीरे तापमान $T_2$ तक गर्म करने पर दाव $P_2$ तथा आयतन $V_2$ हो जाता है। इस प्रक्रिया में पिस्टन $x$ दूरी तय करता है। पिस्टन एवं वर्तन के मध्य घर्पण को नगण्य मानते हुए, सही कथन है(है)
$(A)$ यदि $V _2=2 V _1$ तथा $T _2=3 T _1$ है, तब स्प्रिंग में संचित ऊर्जा $\frac{1}{4} P _1 V _1$ है ।
$(B)$ यदि $V_2=2 V_1$ तथा $T_2=3 T_1$ है, तव आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन $3 P_1 V_1$ है ।
$(C)$ यदि $V _2=3 V _1$ तथा $T _2=4 T _1$ है, तब गैस द्वारा किया गया कार्य $\frac{7}{3} P _1 V _1$ है।
$(D)$ यदि $V _2=3 V _1$ तथा $T _2=4 T _1$ है, तब गैस को दी गयी ऊप्मा $\frac{17}{6} P _1 V _1$ है ।
एक आदर्श गैस का दाब व आयतन $\mathrm{PV}^{3 / 2}=\mathrm{K}$ (नियतांक) द्वारा सम्बन्धित है। गैस को अवस्था $A\left(P_1, V_1, T_1\right)$ से अवस्था $B\left(P_2, V_2, T_2\right)$ तक ले जाने में कुल किया गया कार्य है :
एक एकपरमाणुक आदर्श गैस प्रारम्भिक ताप ${T_1}$ पर, एक पिस्टन युक्त सिलिण्डर में भरी है। पिस्टन को अचानक स्वतंत्र करके गैस को रुद्धोष्म रूप से ${T_2}$ ताप तक प्रसारित होने देते हैं यदि सिलिण्डर में, गैस के प्रसार से पहले एवं बाद में गैस स्तम्भों की लम्बाइयाँ क्रमश: ${L_1}$ तथा ${L_2}$ हैं, तब ${T_1}/{T_2}$ का मान है
समतापीय और रुद्धोष्म वक्रों की ढालों (Slopes) में सम्बन्ध है
${27^o}C$ ताप एवं $1$ वायुमण्डल दाब पर एक आदर्श गैस को रुद्धोष्म रूप से संपीड़ित करके इसका दाब प्रारम्भिक दाब का $8$ गुना कर दिया जाता है। तब इसका अन्तिम ताप ....... $^oC$ है $(\gamma = 3/2)$