जब एक कल्पित गैस को उसके आयतन के आधे आयतन तक रुद्धोष्म रूप से सम्पीड़ित किया जाता है तो इसके ताप में $\sqrt 2 $ गुना तक वृद्धि हो जाती है। इसका अवस्था समीकरण लिखा जा सकता है
$P{V^{3/2}}$= नियत
$P{V^{5/2}}$= नियत
$P{V^{7/3}}$= नियत
$P{V^{4/3}}$= नियत
चित्र में, रुद्धोष्म प्रक्रम में दो गैसों के लिए $P-V$ आरेख दिखाये गये हैं। वक्र $1$ व $2$ क्रमश: किसके संगत है
किसी एक परमाणुक गैस का दाब $P_{1}$ और आयतन $V_{1}$ है। इसको रूद्धोष्म रूप से प्रारंभिक आयतन के $1 / 8$ तक संपीडित किया जाता है, गैस का अंतिम दाब ........ $P_1$ होगा
$27°C$ ताप पर एक गैस को अपने प्रारम्भिक आयतन के एक चौथाई तक संपीड़ित किया जाता है, यदि $\gamma = 1.4$ हो तब गैस का नया ताप होगा
यहाँ दो कथन दिये गये है-
कथन$-I$ : आदर्श गैस की $\mu$ मात्रा, एक अवर्था $\left( P _1, V _1, T _1\right)$ से दूसरी अवस्था $\left( P _2, V _2, T _2\right)$ में रुद्धोष्म प्रक्रम में परिवर्तित होती है। तब किया गया कार्य $W =\frac{1 R \left( T _2- T _1\right)}{1-\gamma}$ है, जहाँ $\gamma=\frac{ C _{ P }}{ C _{ V }}$ तथा $R =$ सार्वत्रिक गैस नियंतांक है ।
कथन$-II$ : उपरोक्त कथन में, जब गैस पर कार्य किया जाता है, तब गैस का तापमान बढ़ेगा।
एक गैस ($\gamma = 1.3)$ एक कुचालक पात्र में भरी हुई है। इस पात्र में दाब ${10^5}\,N/{m^2}$ है एवं एक पिस्टन पात्र में लगा हुआ है। पिस्टन को अचानक दबाकर गैस के आयतन को प्रारम्भिक आयतन का आधा कर दिया जाता है। गैस का अन्तिम दाब होगा