तापमान $300\, K$ से शुरू होकर $1$ मोल द्विपरमाणुक आदर्श गैस $(\gamma=1.4)$ का पहले रूद्धोष्म प्रक्रिया द्वारा $V _{1}$ आयतन से $V _{2}=\frac{ V _{1}}{16}$ आयतन तक संपीडन किया जाता है। तत्पश्चात इसे समदाबीय प्रक्रिया द्वारा $2 V _{2}$ आयतन तक प्रसारित होने दिया जाता है। यदि सभी प्रक्रियाएँ स्थैतिककल्प (quasi-static) हों तो गैस का अन्तिम तापमान का (निकटतम पूर्णांक ${ }^{\circ} K$ में) होगा।
$1818$
$2020$
$1576$
$1734$
एक एकपरमाणुक आदर्श गैस एक क्षैतिज बत्रन (horizontal cylinder) में स्प्रिंग युक्त पिस्टन द्वारा बंद है (दर्शाये चित्रानुसार)। प्रारम्भ में गैस का तापमान $T_1$, दाव $P_1$ तथा आयतन $V_1$ है तथा स्प्रिंग विश्रांत अवस्था में है। अव गेस को बहुत धीरे-धीरे तापमान $T_2$ तक गर्म करने पर दाव $P_2$ तथा आयतन $V_2$ हो जाता है। इस प्रक्रिया में पिस्टन $x$ दूरी तय करता है। पिस्टन एवं वर्तन के मध्य घर्पण को नगण्य मानते हुए, सही कथन है(है)
$(A)$ यदि $V _2=2 V _1$ तथा $T _2=3 T _1$ है, तब स्प्रिंग में संचित ऊर्जा $\frac{1}{4} P _1 V _1$ है ।
$(B)$ यदि $V_2=2 V_1$ तथा $T_2=3 T_1$ है, तव आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन $3 P_1 V_1$ है ।
$(C)$ यदि $V _2=3 V _1$ तथा $T _2=4 T _1$ है, तब गैस द्वारा किया गया कार्य $\frac{7}{3} P _1 V _1$ है।
$(D)$ यदि $V _2=3 V _1$ तथा $T _2=4 T _1$ है, तब गैस को दी गयी ऊप्मा $\frac{17}{6} P _1 V _1$ है ।
दो एकसमान गैसों का प्रसार होता है $(i)$ समतापीय रीति से $(ii)$ रुद्धोष्म रीति से। किया गया कार्य
गतिशील पिस्टन लगे किसी सिलिडर में मानक ताप व दाब पर $3$ मोल हाइड्रोजन भरी है । सिलिंडर की दीवारें ऊष्मारोधी पदार्थ की बनी हैं तथा पिस्टन को उस पर बालू की परत लगाकर ऊष्मारोधी बनाया गया है । यदि गैस को उसके आरंभिक आयतन के आधे आयतन तक संपीडित किया जाए तो गैस का दाब कितना बढेगा ?
रुद्धोष्म परिवर्तन हेतु एक परमाण्विक गैस के लिये दाब तथा ताप में सम्बन्ध $P \propto T^c$ है। यहाँ $c$ का मान होगा
द्वि-परमाणविक गैस $(\gamma = 7/5)$ का दाब और घनत्व रुद्धोष्म तरीके से $(P, d)$ से $(P', d')$ किया जाता है। यदि d$\frac{{d'}}{d} = 32$ है, तो $\frac{{P'}}{P}$ होना चाहिये