किसी तत्व के नाभिक और परमाणु दोनों अपनीअपनी प्रथम उत्तेजित अवस्था में हैं। क्रमशः $\lambda_{ N }$ तथा $\lambda_{ A }$ तरंगदैर्ध्य के फोटॉनों को उत्सर्जित कर वह दोनों व्युत्तेजित होते हैं। अनुपात $\frac{\lambda_{ N }}{\lambda_{ A }}$ का निकट मान है
$\lambda = 150\,nm$ तरंगदैध्र्य के संगत फोटॉन और $\lambda = 300\,nm$ तरंगदैध्र्य के संगत फोटॉन की ऊर्जाओं का अनुपात होगा
जब प्रकाश दिये गये तरंगदैर्ध्य (wavelength) से एक धात्वीय पृष्ठ (metallic surface) पर पड़ता है तो उत्सर्जित (emitted) फोटोइलेक्ट्रॉन्स को रोकने के लिए $6.0 V$ के निम्नतम विभव की आवश्यकता होती है। यदि एक दूसरे स्त्रोत जिसका तरंगदैर्ध्य पहले वाले से चार गुना और तीव्रता (intensity) पहले वाले से आधी है को प्रयोग में लाया जाये तो विभव घट कर $0.6 V$ रह जाता है। पहले स्त्रोत की तरंगदैर्ध्य और धातु का कार्य फलन क्रमशः क्या होगा ?
$[\frac{h c}{e}=1.24 \times 10^{-6} Jm C ^{-1}$ लें ]
एक फोटॉन, एक इलेक्ट्रॉन और एक यूरेनियम नाभिक सभी की समान तरंगदैध्र्य है इनमें से सबसे अधिक ऊर्जा होगी