एक समान्तर पट्ट संधारित्र, जिसकी पट्टियों के बीच वैद्युतरोधी माध्यम रहता है, की धारिता और उसमें संग्रहित ऊर्जा क्रमश: ${C_o}$ और ${W_o}$ है। यदि हवा के स्थान पर वैद्युतरोधी माध्यम कांच हो (कांच का परावैद्युतांक $= 5$), तो संधारित्र की धारिता और उसमें संग्रहित ऊर्जा क्रमश: होगी
$5{C_o},\;5{W_o}$
$5{C_o},\;\frac{{{W_0}}}{5}$
$\frac{{{C_o}}}{5},\;5{W_o}$
$\frac{{{C_o}}}{5},\frac{{{W_o}}}{5}$
एक समान्तर प्लेट संधारित्र दो प्लेटों से बना है जिनकी लम्बाई $l$, चौडाई $w$ हैं और एक दुसरे से $d$ दूरी पर है। एक परावैद्युत पट्टी (परावैद्युतांक $K$ ) जो कि प्लेटों के बीच ठीक से समा जाती है, को प्लेटों की सिरे के पास पकड़ कर रखा हुआ है। इसे संधारित्र के अन्दर बल $F =-\frac{\partial U }{\partial x}$ द्वारा खींचा जाता है जहाँ $U$ संधारित्र की तब ऊर्जा है जब परावैद्युत संधारित्र के अन्दर $x$ दूरी पर है। (चित्र देखें)। यदि संधारित्र पर आवेश $Q$ है, तब परावैद्युत पर बल, जब वह सिरे के पास है, होगा
एक संधारित्र के भीतर $K = 3$ का परावैद्युत पदार्थ भरने पर आवेश ${Q_0}$, वोल्टता ${V_0}$ और विद्युत क्षेत्र ${E_0}$ है। यदि परावैद्युत पदार्थ को एक अन्य पदार्थ से प्रतिस्थापित करें जिसका $K = 9$ है तो आवेश, वोल्टता और क्षेत्र का मान होगा क्रमश:
किसी वायु संधारित्र को एक बैटरी से जोड़ा गया है। संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच का स्थान परावैद्युत से भरने का परिणाम है, बढ़ जाना
चित्रानुसार एक समान्तर प्लेट चालक को दो परावैद्य़ुतांक पदार्थों से भर दिया जाता है। प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल $A\, m^2$ है और उनके बीच की दूरी $t$ मीटर है। परावैद्युतांक क्रमश: ${k_1}$ तथा ${k_2}$ हैं फैरड में इसकी धारिता होगी
एक संधारित्र, जिसकी प्लेटों के मध्य वायु है, को इस प्रकार आवेशित किया जाता है कि उसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर $100$ वोल्ट हो जाये। अब यदि प्लेटों के बीच का स्थान परावैद्युतांक $10$ वाले परावैद्युत माध्यम से भर दिया जाये, तो प्लेटों के बीच विभवातंर .......वोल्ट होगा