एक नाल चुम्बक (अर्द्धवृत्ताकार) चुम्बक के ध्रुवों के बीच की दूरी $0.1\, m$ है एवं ध्रुव सामथ्र्य $0.01\, amp-m$ है। ध्रुवों के बीच में मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय प्रेरण होगा
$2 \times {10^{ - 5}}\,T$
$4 \times {10^{ - 6}}\,T$
$8 \times {10^{ - 7}}\,T$
शून्य
एक छोटा चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण $ 6.75\, Am^2$ है। इसके अक्ष पर उदासीन बिन्दु प्राप्त होता है यदि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का क्षैतिज घटक $5 \times {10^{ - 5}}\,Wb/{m^2}$ है तो उदासीन बिन्दु की दूरी.....$cm$ होगी
एक चुम्बक की प्रभावकारी लम्बाई $ 31.4 \,cm$ है एवं इसकी ध्रुव सामथ्र्य $0.5 \,Am $ है। यदि इसे अर्द्धवृत्त के रूप में मोड़ दिया जाये तो नया चुम्बकीय आघूर्ण ....$A{m^2}$ होगा
$M$ चुम्बकीय आघूर्ण और $m$ ध्रुव सामथ्र्य के चुम्बक को दो समान भागों में विभाजित किया जाता है तो प्रत्येक भाग का चुम्बकीय आघूर्ण होगा
एक तीव्र चुम्बकीय ध्रुव के सामने एक क्षैतिज तल पर एक चादर रखी गई है। एक बल आवश्यक है:
$A$. यदि यह चुम्बक है तो चादर को वहाँ रखने के लिए
$B$. यदि यह अचुम्बक है तो चादर को वहाँ रखने के लिए
$C$. यदि यह चालक है तो चादर को ध्रुव से दूर एकसमान वेग से ले जाने के लिए
$D$. यदि यह कुचालक एवं अध्रुवित है तो चादर को ध्रुव से दूर एकसमान वेग से ले जाने के लिए
नीचे दिये विकल्पों से सही कथन चुनिए:
दो एकसमान लघु चुम्बक, जिनमें प्रत्येक का चुम्बकीय आघूर्ण $ 10\,Am^2$ है, इस प्रकार व्यवस्थित की जाती है, कि इनके अक्ष एक दूसरे के लम्बव्त रहें एवं इनके केन्द्र एक ही सरल रेखा के अनुदिश एक क्षैतिज तल में हों। यदि इनके केन्द्रों के बीच की दूरी $0.2\, m $ है, तो इनके बीच में मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय प्रेरण होगा
$({\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}\,H{m^{ - 1}})$