प्रति इकाई आवेश $q$ वाले अनन्त लम्बी नली का उसकी अक्ष से $r$ दूरी पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होती है
${r^2}$के अनुक्रमानुपाती
${r^3}$ के अनुक्रमानुपाती
$r$ के व्युत्क्रमानुपाती
${r^2}$ के व्युत्क्रमानुपाती
परमाणु के प्रारंभिक प्रतिरूप में यह माना गया था कि आवेश $Z e$ का बिंदु आमाप का धनात्मक नाभिक होता है जो त्रिज्या $R$ तक एकसमान घनत्व के ऋणावेश से घिरा हुआ है। परमाणु पूर्ण रूप में विध्यूत उदासीन है। इस प्रतिसूप के लिए नाभिक से $r$ दूरी पर विध्यूत क्षेत्र कितना है?
कुल आवेश $2 Q$ को त्रिज्या $R$ के गोले में इस प्रकार वितरित करते हैं कि आवेश घनत्व सम्बन्ध $\rho( r )= kr$ से दिया जाता है जहाँ $r$, केन्द्र से दूरी है। दो बराबर $Q$ आवेशों $A$ तथा $B$ को केन्द्र से $a$ दूरी पर व्यासीय विपरीत बिन्दुओं पर रखा गया है। यदि $A$ और $B$ कोई बल अनुभव नहीं करते हैं, तो ?
रैखिक आवेश घनत्व $\lambda$ वाला एक लंबा आवेशित बेलन एक खोखले समाक्षीय चालक बेलन द्वारा घिरा है। दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विध्यूत क्षेत्र कितना है?
यहाँ आरेख में, किसी गोलाकार कोश (शैल) के कोटर के भीतर दो बिन्दु-आवेश $+ Q$ तथा $- Q$ दर्शाये गये हैं। ये आवेश कोटर की सतह के निकट इस प्रकार रखे गये हैं कि, एक आवेश कोश के केन्द्र की एक ओर है और दूसरा केन्द्र के विपरीत दूसरी ओर। यदि, भीतरी तथा बाहरी सतहों (पृष्ठों) पर, पृष्ठ आवेश क्रमशः $\sigma_{1}$ तथा $\sigma_{2}$ और नेट आवेश क्रमशः $Q_{1}$ तथा $Q _{2}$ हो तो :
एक गोलीय सममिति में वितरित आवेश के परिवर्तनशील आवेश घनत्व को निम्न समीकरण द्वारा निरूपित किया गया है।
$\rho(r)=\left\{\begin{array}{ll}\rho_0\left(\frac{3}{4}-\frac{r}{R}\right) & \text { for } r \leq R \\ \text { Zero } & \text { for } r>R\end{array}\right.$
जहाँ, $r ( r < R )$ केन्द्र $O$ से दूरी है, (चित्र में दर्शाये अनुसार) $P$ बिन्दू पर विद्युत क्षेत्र का मान होगा :