त्रिज्या $'a'$ तथा $'b'$ के दो एक-केन्द्री गोलों (चित्र देखिये) के बीच के स्थान में आयतन आवेश-घनत्व $\rho=\frac{A}{r}$ है, जहाँ $A$ स्थिरांक है तथा $r$ केन्द्र से दूरी है। गोलों के केन्द्र पर एक बिन्दु-आवेश $Q$ है। $'A'$ का वह मान बताये जिससे गोलों के बीच के स्थान में एकसमान वैध्युत-क्षेत्र हो:
$\frac{{2Q}}{{\pi \left( {{a^2} - {b^2}} \right)}}\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;\;$
$\;\frac{{2Q}}{{\pi {a^2}}}$
$\;\frac{Q}{{2\pi {a^2}}}$
$\;\frac{Q}{{2\pi \left( {{b^2} - {a^2}} \right)}}$
यहाँ आरेख में, किसी गोलाकार कोश (शैल) के कोटर के भीतर दो बिन्दु-आवेश $+ Q$ तथा $- Q$ दर्शाये गये हैं। ये आवेश कोटर की सतह के निकट इस प्रकार रखे गये हैं कि, एक आवेश कोश के केन्द्र की एक ओर है और दूसरा केन्द्र के विपरीत दूसरी ओर। यदि, भीतरी तथा बाहरी सतहों (पृष्ठों) पर, पृष्ठ आवेश क्रमशः $\sigma_{1}$ तथा $\sigma_{2}$ और नेट आवेश क्रमशः $Q_{1}$ तथा $Q _{2}$ हो तो :
प्रति इकाई आवेश $q$ वाले अनन्त लम्बी नली का उसकी अक्ष से $r$ दूरी पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता होती है
एक खोखले विलगित चालक गोले को $+10\,\mu \,C$ का धन आवेश दिया जाता है। यदि गोले की त्रिज्या $2$ मीटर हो, तो उसके केन्द्र पर विधुत क्षेत्र ........$\mu \,C{m^{ - 2}}$ होगा:
दो बड़ी, पतली धातु की प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर एवं निकट हैं। इनके भीतरी फलकों पर, प्लेटों के पृष्ठीय आवेश घनत्वों के चिह्न विपरीत हैं तथा इनका परिमाण $17.0 \times 10^{-22} C /$ $m ^{2}$ है।
$(a)$ पहली प्लेट के बाह्य क्षेत्र में, $(b)$ दूसरी प्लेट के बाह्हा क्षेत्र में, तथा $(c)$ प्लेटों के बीच में विद्र
एक त्रिज्या $R_1$ तथा एक समान आवेश घनत्व का गोलाकर आवेश मूल बिन्दु $O$ पर केन्द्रित है। इसमें एक $R_2$ त्रिज्या तथा $P$ पर केन्द्रित एक गोलाकार गुहिका (cavity), जहाँ $O P=a=R_1-R_2$ है, वनाई जाती है। (चित्र देखें)। यदि गुहिका के अन्दर स्थिति $\vec{r}$ पर विधुत क्षेत्र $\overline{ E }(\overrightarrow{ r })$ है, तव सही कथन है (हैं)