धातु के एक गोले से उत्पत्र विद्युत क्षेत्र में संचित ऊर्जा का मान $4.5 \;J$ है। यदि गोले में निहित आवेश $4 \mu C$ हो तो उसकी त्रिज्या का मान होगा : [दिया है : $\left.\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}=9 \times 10^{9}\; N - m ^{2} / C ^{2}\right]$
$20$
$32$
$28$
$16$
दो सर्वसम संधारित्रों की धारिता $C$ है। इनमें से एक को ${V_1}$ विभव तक तथा दूसरे को ${V_2}$ विभव तक आवेशित किया गया है। संधारित्रों के ऋण सिरों को एक साथ जोड़ दिया जाता है। जब धन सिरों को भी जोड़ देंगे तब निकाय की ऊर्जा में हानि होगी
$60 pF$ धारिता के एक संधारित्र को $20 V$ के स्त्रोत से पूरा आवेशित किया जाता है। तत्तपश्चात् इसे स्त्रोत से हटाकर $60 pF$ के एक दूसरे अनावेशित संधारित्र से पार्श्व संबंधन (parallel connection) में जोड़ा जाता है। जब आवेश पूरी तरह से दोनों संधारित्रों में वितरित हो जाये तो इस प्रक्रिया में स्थिर वैधुत ऊर्जा की क्षति $nJ$ में होती है।
$0.3\,\mu F$ और $0.6\,\mu F$ धारिता के दो संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े हुये हैं। यदि संयोजन को $6\,volts$ के स्रोत से जोड़ दिया जाये, तो प्रत्येक संधारित्र पर संग्रहित ऊर्जा का अनुपात होगा
$900\ \mu \mathrm{F}$ धारिता वाले एक संधारित्र को $100 \mathrm{~V}$ वाली बैटरी के द्वारा आवेशित किया जाता है। अब इसे बैटरी से हटाया जाता है, एवं किसी दूसरे एकसमान अनावेशित संधारित्र के साथ इस प्रकार जोड़ा जाता है कि अनावेशित संधारित्र की एक पट्टी, आवेशित संधारित्र की धन पट्टी से एवं दूसरी पट्टी आवेशित संधारित्र की ऋण पट्टी से जुड़ती है। इस प्रक्रिया में हुई ऊर्जा क्षय का मान $\mathrm{x} \times 10^{-2} \mathrm{~J}$ है। $\mathrm{x}$ का मान होगा
एक गोला जिसकी त्रिज्या $1\,cm$ एवं विभव $8000\,V$ है तो इसकी सतह के नजदीक ऊर्जा घनत्व होगा