$M, $ चुम्बकीय आघूर्ण के एक छोटे से चुम्बकीय द्विधुव के कारण निरक्षीय रेखा पर केन्द्र से $ r$  दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र होता है ($M.K.S. $ पद्धति में)

  • A

    $\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{M}{{{r^2}}}$

  • B

    $\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{M}{{{r^3}}}$

  • C

    $\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{{2M}}{{{r^2}}}$

  • D

    $\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{{2M}}{{{r^3}}}$

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चुम्बक में चुम्बकत्व का कारण है

$\mathrm{L}$ लम्बाई की एक लौह छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $\mathrm{M}$ है। यह लम्बाई के मध्य से इस प्रकार मोड़ा गया है कि दोनों भुजाएँ एक दूसरे के साथ $60^{\circ}$ का कोण बनाती है। इस नई चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण है:

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यदि एक दण्ड चुम्बक के केन्द्र में एक छिद्र कर दिया जाये तो इसका चुम्बकीय आघूर्ण

दो पृथक प्रयोगों में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में रखे छोटे चुम्बकों के उदासीन बिन्दु $r$ तथा $2r$  दूरी पर निरक्ष स्थिति में मिलते हैं। चुम्बकों के चुम्बकीय आघूर्णों का अनुपात है

$1$ सेमी लंबाई के दो छोटे दंड चुम्बक जिनके चुंबकीय आघूर्ण क्रमशः $1.20\, Am ^{2}$ तथा $1.00\, Am ^{2}$ हैं, की एक क्षैतिज टेबल पर एक-दूसरे के समानांतर इस प्रकार रखा जाता है कि उनके उत्तरी ध्रुव दक्षिण दिशा की ओर हो तथा इनके मध्य दूरी $20$ सेमी है, तथा इनकी चुंबकीय विषुवत् रेखा उभयनिष्ठ हैं। इनके केन्द्रो को मिलाने वाली रेखा के मध्यबिन्दु $O$ पर परिणामी क्षैतिज चुंबकीय प्रेरण का मान होगा, (पृथ्वी के चुंबकीय प्रेरण का क्षैतिज घटक $3.6 \times 10^{-5}$ वेबर/मी $^{2}$ हैं।)

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