$M, $ चुम्बकीय आघूर्ण के एक छोटे से चुम्बकीय द्विधुव के कारण निरक्षीय रेखा पर केन्द्र से $ r$ दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र होता है ($M.K.S. $ पद्धति में)
$\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{M}{{{r^2}}}$
$\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{M}{{{r^3}}}$
$\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{{2M}}{{{r^2}}}$
$\frac{{{\mu _0}}}{{4\pi }} \times \frac{{2M}}{{{r^3}}}$
यदि किसी छड़ चुम्बक का उत्तरी ध्रुव दक्षिण की ओर तथा दक्षिणी ध्रुव उत्तर की ओर इंगित करें, तो उदासीन बिन्दु होंगे
चुम्बकीय आघूर्ण $1.0\, A-m^2$ के दो एकसमान चुम्बकीय द्विध्रुवों के अक्षों को एक-दूसरे के लम्बवत् रखा गया है जिससे उनके केन्द्रों के बीच की दूरी $2\,m$ है । द्विध्रुवों के बीच मध्य बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र होगा
चुम्बकीय आघूर्ण का मात्रक है
यदि किसी धातु के टुकड़े को चुम्बक माना जाये तो सही कथन है
$S.I. $ पद्धति में चुम्बकशीलता का मात्रक है