किसी चालक को दिया गया विभव, निर्भर करता है

  • A

    आवेश के मान पर

  • B

    चालक की आकृति और आकार पर

  • C

    दोनों $(a)$ एवं $(b)$

  • D

    केवल $(a)$

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एक समान्तर-पट्ट संधारित्र की धारिता $12\,\mu \,F$ है। यदि प्लेटों के बीच की दूरी दोगुनी एवं इनका क्षेत्रफल आधा कर दिया जाये जो नई धारिता ........$\mu \,F$ होगी

दो एकसमान धातु प्लेटों पर क्रमश: धन आवेश ${Q_1}$, ${Q_2}$, ${Q_3}$ व ${Q_4}$ दिये गये हैं। अब यदि इन प्लेटों को पास लाकर $C$  धारिता का समान्तर पट्टिका संधारित्र बनाया जाता है, तब प्लेटों के बीच विभवान्तर होगा

  • [IIT 1999]

एक संधारित्र की दो प्लेटों पर विभव क्रमश: $+10\,V$ एवं $-10\,V$ है। यदि एक प्लेट पर आवेश $40\,C$ है तो संधारित्र की धारिता .......$F$ होगी

$R_1$ त्रिज्या का एक ठोस गोला, एक दूसरे संकेन्द्री खोखले $R_1$ त्रिज्या वाले सुचालक गोले से घिरा हुआ है। इस संयोजन की धारिता निम्न के समानुपाती है

समान्तर प्लेट संधारित्र धारिता का मूल्य किस पर आश्रित नहीं है