रदरफोर्ड के $\alpha - $कणों के प्रयोग से यह जानकारी प्राप्त होती है कि अधिकांश $\alpha - $कण बिना प्रकीर्णन के निकल जाते हैं तथा कुछ अधिक कोण से प्रकीर्णित होते हैं। इसके द्वारा परमाणु संरचना की क्या जानकारी मिलती है
परमाणु खोखला है
पाष्चन श्रेणी अवरक्त क्षेत्र में एक रैखिल स्पेक्ट्रम है
नाभिक धनावेशित हैं
उपरोक्त सभी
एक प्रोटोन को सीधे एक नाभिक $( Q =120 e$, जहाँ $e$ इलेक्ट्रोनिक आवेश है) की ओर बहुत दूर से दागा जाता है। यह प्रोटॉन नाभिक से $10 \ fm$ की निकटतम दूरी तक पहुँचता है। प्रोटोन के चलना आरम्भ करते समय उसकी de Broglie तरंग दैर्ध्य ( $fm$ में) क्या है ? (मानें : प्रोटॉन का द्रव्यमान, $m _{ p }=\frac{5}{3} \times 10^{-27} kg \frac{ h }{ e }=4.2 \times 10^{-15} J . s / C ; \frac{1}{4 \pi \varepsilon_0}=9 \times 10^9 m / F ; 1 fm =$ $\left.10^{-15} m \right)$
रदरफोर्ड का $\alpha$-प्रकीर्णन प्रयोग दर्शाता है कि परमाणु में होता है
परमाणुओं की संरचना को निकालने के लिये रदफफोर्ड प्रकीर्णन प्रयोग में इस्तेमाल किये गये कणों की
इलेक्ट्रॉन का कक्षीय त्वरण है
तत्व ${ }_{16} S ^{32}$ के पूर्णतः भरे हुए कोषों की संख्या क्या होगी?