समान त्रिज्या के दो धातु के गोलाकार हैं, परन्तु एक ठोस एवं दूसरा खोखला है, तो

  • A

    ठोस गोलाकार को अधिक आवेश दिया जा सकता है

  • B

    खोखले गोलाकार को अधिक आवेश दिया जा सकता है

  • C

    दोनों को समान अधिकतम आवेश दिया जा सकता है

  • D

    उपरोक्त में से कोई नहीं

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लम्बाई $l$ की दो द्रव्यमानहीन डोरियो द्वारा एक उभयनिष्ठ बिन्दु से दो एकसमान आवेशित गोले लटकाये गये है, जों कि प्रारम्भ में दूरी $d(d$ $ < < l)$ पर अपनें अन्योन्य विकषर्ण के कारण है। दोंनों गोलों से आवेश एक स्थिर दर से लीक होना प्रारम्भ करता है। इसके परिणाम स्वरूप आवेश एक दूसरे की ओर $v$ वेग से गति करना प्रारम्भ करते है। तब दोनों के बीच दूरी $x$ के फलन के रूप में

  • [AIEEE 2011]

दो समरूप आवेशित गोले $A$ एवं $B$, जो एक-दूसरे से एक निश्चित दूरी से विस्थापित है, के बीच $F$ परिमाण का प्रतिकर्षण बल लगता है। समान आकार के एक तीसरे अनावेशित गोले $C$ को गोले $B$ के सम्पर्क में रखकर विलगित किया जाता है तथा इसे $A$ एवं $B$ के मध्यबिन्दु पर रखा जाता है। $C$ गोले पर लगे बल का परिमाण है

दो छोटी गोलाकार गेंदें प्रत्येक पर $Q = 10\,\mu C$ आवेश है, को दो समान लम्बाई प्रत्येक $1$ मीटर, के कुचालक धागों द्वारा छत के किसी बिन्दु से लटकाई गयी है। यह पाया गया है कि साम्यावस्था में धागों के मध्य चित्रानुसार ${60^o}$ का कोण है। धागों में तनाव.......$N$ है (दिया है : $\frac{1}{{(4\pi {\varepsilon _0})}} = 9 \times {10^9}\,Nm/{C^2}$)

दो एकसमान आवेशित गोलों को बराबर लम्बाई की डोरियों से लटकाया गया है। डोरियाँ एक-दूसरे से $30^{\circ}$ का कोण बनाती है। जब $0.8\, gcm ^{-3}$, घनत्व के द्रव में लटकाया जाता हैं, तो कोण वही रहता है। यदि गोले के पदार्थ का घनत्व $1.6\, gcm ^{-3}$ है, तब द्रव का परावैघुतांक है

  • [AIEEE 2010]

एक घन जिसकी प्रत्येक भुजा की लम्बाई $b$ है। इसके प्रत्येक कोने पर आवेश $q$ रखा है, इस आवेश वितरण के कारण घन के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र का मान होगा