दो परावैद्युत पट्टिकाओं का परावैद्युतांक क्रमश: ${K_1}$ और ${K_2}$ है। इन्हें संधारित्र की दो प्लेटों के मध्य रखा गया है, तो संधारित्र की धारिता होगी
$\frac{{2{\varepsilon _0}A}}{2}({K_1} + {K_2})$
$\frac{{2{\varepsilon _0}A}}{2}\left( {\frac{{{K_1} + {K_2}}}{{{K_1} \times {K_2}}}} \right)$
$\frac{{2{\varepsilon _0}A}}{2}\left( {\frac{{{K_1} \times {K_2}}}{{{K_1} + {K_2}}}} \right)$
$\frac{{2{\varepsilon _0}A}}{d}\left( {\frac{{{K_1} \times {K_2}}}{{{K_1} + {K_2}}}} \right)$
एक वायु संधारित्र की धारिता $C$ है। यदि प्लेटों के बीच की दूरी को दोगुना करके इसे एक द्रव में डुबो दिया जाये तो धारिता दो गुनी हो जाती है। द्रव का परावैद्युतांक होगा
एक गोलीय संधारित्र के भीतरी गोले की त्रिज्या $12 \,cm$ तथा बाहरी गोले की त्रिज्या $13\, cm$ है। बाहरी गोला भू-संपर्कित है तथा भीतरी गोले पर $2.5\, \mu C$ का आवेश दिया गया है। संकेंद्री गोलों के बीच के स्थान में $32$ परावैध्यूतांक का द्रव भरा है।
$(a)$ संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
$(b)$ भीतरी गोले का विभव क्या है?
$(c)$ इस संधारित्र की धारिता की तुलना एक $12 \,cm$ त्रिज्या वाले किसी वियुक्त गोले की धारिता से कीजिए। व्याख्या कीजिए कि गोले की धारिता इतनी कम क्यों है।
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य तेल भरा हुआ है (तेल का परावैद्युतांक$K = 2$ है) इसकी धारिता $C$ है। यदि तेल हटा लिया जाये तो संधारित्र की धारिता हो जायेगी
एक समांतर पट्न संधारित्र परावैद्युतांक $10$ वाले माध्यम द्वारा भरा जाता है, इसको एक बैटरी से जोड़कर आवेशित किया जाता है। परावैद्युत पट्टिका को परावैद्युतांक $15$ वाले दूसरे पदार्थ द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाता है तो संधारित्र की ऊर्जा
$200\, \mu F$ धारिता का एक समान्तर प्लेट संधारित्र $200$ वोल्ट बैटरी से जोड़ दिया जाता है। बैटरी को जुड़ी रखते हुए $2$ पैरावैघुतांक वाले पैरावैघुत गुटके को प्लेटों के बीच रख देते है। धारित्र में स्थिर वैधुत ऊर्जा का परिवर्तन $.......$ जूल होगा।