दो घर्षणरहित आनत पथ, जिनमें से एक की ढाल अधिक है और दूसरे की ढाल कम है, बिंदु $A$ पर मिलते हैं। बिंदु $A$ से प्रत्येक पथ पर एक-एक पत्थर को विरामावस्था से नीचे सरकाया जाता है (चित्र)। क्या ये पत्थर एक ही समय पर नीचे पहुंचेंगे ? क्या वे वहां एक ही चाल से पहुंचेंगे? व्याख्या कीजिए। यदि $\theta_{1}=30^{\circ}, \theta_{2}=60^{\circ}$ और $h=10\, m$ दिया है तो दोनों पत्थरों की चाल एवं उनके द्वारा नीचे पहुंचने में लिए गए समय क्या हैं ?
No; the stone moving down the steep plane will reach the bottom
first Yes; the stones will reach the bottom with the same speed $v_{ B }=$
$v_{ C }=14 m / s t_{1}=2.86 s ; t_{2}=1.65 s$
The given situation can be shown as in the following figure
Here, the initial height (AD) for both the stones is the same ( $h$ ). Hence, both will have the same potential energy at point $A.$
As per the law of conservation of energy, the kinetic energy of the stones at points $B$ and
C will also be the same, i. e., $\frac{1}{2} m v_{1}^{2}=\frac{1}{2} m v_{2}^{2}$
$v_{1}=v_{2}=v,$ say Where $, m=$ Mass of each
stone $v=$ Speed of each stone at points
$B$ and $C$
Hence, both stones will reach the bottom with the same speed, $v$
For stone I:
Net force acting on this stone is given by:
$F_{net}=m a_{1}=m g \sin \theta_{1}$
$a_{1}=g \sin \theta_{1}$
For stone II:
$a_{2}= g \sin \theta_{2}$
$\because \theta_{2}>\theta_{1}$
$\therefore \sin \theta_{2}>\sin \theta_{1}$
$\therefore a_{2}>a_{1}$
Using the first equation of motion, the time of slide can be obtained as:
$v=u+a t$
$\therefore t=\frac{v}{a} \quad(\because u=0)$
For stone I:
$t_{1}=\frac{v}{a_{1}}$
For stone II:
$t_{2}=\frac{v}{a_{2}}$
$\because a_{2}>a_{1}$
$\therefore t_{2}$
Hence, the stone moving down the steep plane will reach the bottom first.
The speed ( $v$ ) of each stone at points $B$ and $C$ is given by the relation obtained from the law of conservation of energy. $m g h=\frac{1}{2} m v^{2}$
$\therefore v=\sqrt{2 g h}$
$=\sqrt{2 \times 9.8 \times 10}$
$=\sqrt{196}=14 m / s$
The times are given as:
$t_{1}=\frac{v}{a_{1}}=\frac{v}{g \sin \theta_{1}}$$=\frac{14}{9.8 \times \sin 30}=\frac{14}{9.8 \times \frac{1}{2}}=2.86 s$
$t_{2}=\frac{v}{a_{2}}=\frac{v}{g \sin \theta_{2}}$$=\frac{14}{9.8 \times \sin 60}=\frac{14}{9.8 \times \frac{\sqrt{3}}{2}}=1.65 s$
द्रव्यमान $M$ का एक पिण्ड $V$ चाल से चलते हुए $m$ द्रव्यमान के एक स्थिर पिंड से प्रत्यास्थ संघटन करता है। संघटन के वाद द्रव्यमान $M$ तथा $m$ की चाल क्रमशः $V^{\prime}$ तथा $v$ हो जाती है। सभी पिंडों की गति एक रेखीय है, तो
$3$ मीटर लम्बाई तथा $3$ किग्रा द्रव्यमान की एक समान चेन, चिकनी टेबल पर, $2$ मीटर टेबल पर रहते हुए प्रलंबन करती है। यदि टेबल से पूर्णतया खिसक जाने पर चेन की जूल में गतिज ऊर्जा $k$ हो, तो $k$ का मान......... है। $\left( g =10 \;m / s ^{2}\right.$ लीजिए $)$
कणों के किसी निकाय की गति को इसके द्रव्यमान केन्द्र की गति और द्रव्यमान केन्द्र के परित: गति में अलग-अलग करके विचार करना। दर्शाइये कि-
$(a)$ $p = p _{i}^{\prime}+m_{i} V$, जहाँ ( $m_i$, द्रव्यमान वाले) $i-$ वें कण का संवेग है, और $p _{i}^{\prime}=m_{i} v _{i}^{\prime} \mid$ ध्यान द्द कि $v_i^{\prime} $, द्रव्यमान केन्द्र के
सापेक्ष $i-$ वें कण का वेग है। द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा का उपयोग करके यह भी सिद्ध कीजिए कि $\sum p _{i}^{\prime}=0$
$(b)$ $K=K^{\prime}+1 / 2 M V^{2}$
$K$ कणों के निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, $K ^{\prime}=$ निकाय की कुल गतिज ऊर्जा जबकि कणों की गतिज ऊर्जा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष ली जाय। $M V^{2} / 2$ संपूर्ण निकाय के (अर्थात् निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के ) स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा है। इस परिणाम का उपयोग भाग में किया गया है।
$(c)$ $L = L ^{\prime}+ R \times M V$
जहाँ $L ^{\prime}=\sum r _{i}^{\prime} \times p _{i}^{\prime}$ द्रव्यमान के परित: निकाय का कोणीय संवेग है जिसकी गणना में वेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष मापे गये हैं। याद कीजिए $r _{t}^{\prime}= r _{t}- R$; शेष सभी चिह्न अध्याय में प्रयुक्त विभिन्न राशियों के मानक चिह्न हैं। ध्यान दें कि $L$ ' द्रव्यमान केन्र के परितः निकाय का कोणीय संवेग एवं $M R \times V$ इसके द्रव्यमान केन्द्र का कोणीय संवेग है।
$(d)$ $\frac{d L ^{\prime}}{d t}=\sum r _{t}^{\prime} \times \frac{d p ^{\prime}}{d t}$
यह भी दर्शाइये कि $\frac{d L ^{\prime}}{d t}=\tau_{e x t}^{\prime}$
(जहाँ $\tau_{\text {ext }}^{\prime}$ द्रव्यमान केन्द्र के परित: निकाय पर लगने वाले सभी बाहय बल आघूर्ण हैं।) [ संकेत : द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा एवं न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उपयोग कीजिए। यह मान लीजिए कि किन्ही दो कणों के बीच के आन्तरिक बल उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।]
$2\, mm$ त्रिज्या की वर्षा की कोई बूंद $500\, m$ की ऊंचाई से पृथ्वी पर गिरती है। यह अपनी आरंभिक ऊंचाई के आधे हिस्से तक (वायु के श्यान प्रतिरोध के कारण ) घटते त्वरण के साथ गिरती है और अपनी अधिकतम (सीमान्त) चाल प्राप्त कर लेती है, और उसके बाद एकसमान चाल से गति करती है। वर्षा की बूंद पर उसकी यात्रा के पहले व दूसरे अर्ध भागों में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा ? यदि बूंद की चाल पृथ्वी तक पहुंचने पर $10\, m s ^{-1}$ हो तो संपूर्ण यात्रा में प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा ?
एक टेनिस की गेंद को एक क्षैतिज चिकनी सतह पर गिराया जाता है। गेंद सतह से टकराने के पश्चात् पुनः अपने मुल स्थान पर पहुँच जाती है। संघट्ट (collision) के दौरान, गेंद पर लगने वाला बल उसकी संपीड़न लंबाई के अनुक्रमानुपाती है। निम्न में से कौनसा रेखाचित्र, समय $t$ के साथ गेंद की गतिज ऊर्जा $K$ के परिवर्तन को सर्वाधिक उचित रूप से प्रदर्शित करता है। (चित्र केवल सांकेतिक हैं और मापन के अनुरूप नहीं हैं)।