दो चुम्बकों को चित्रानुसार समकोण पर जोड़ा गया हैं। चुम्बक $1$ का चुम्बकीय आघूर्ण, चुम्बक $2$ के चुम्बकीय आघूर्ण का $3$ गुना है। इस व्यवस्था को इस प्रकार कीलकित किया गया है कि यह क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है। संतुलन की स्थिति में चुम्बक $ 1$ चुम्बकीय याम्योत्तर से किस कोण पर होगा
${\tan ^{ - 1}}\left( {\frac{1}{2}} \right)$
${\tan ^{ - 1}}\left( {\frac{1}{3}} \right)$
${\tan ^{ - 1}}(1)$
$0°$
$M, $ चुम्बकीय आघूर्ण के एक छोटे से चुम्बकीय द्विधुव के कारण निरक्षीय रेखा पर केन्द्र से $ r$ दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र होता है ($M.K.S. $ पद्धति में)
$(a)$ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ ( हर बिंदु पर) वह दिशा बताती हैं जिसमें ( उस बिंदु पर रखी) चुंबकीय सुई संकेत करती है। क्या चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ प्रत्येक बिंदु पर गतिमान आवेशित कण पर आरोपित बल रेखाएँ भी हैं?
$(b)$ एक टोरॉइड में तो चुंबकीय क्षेत्र पूर्णत: क्रोड के अंदर सीमित रहता है, पर परिनालिका में ऐसा नहीं होता। क्यों?
$(c)$ यदि चुंबकीय एकल ध्रुवों का अस्तित्व होता तो चुंबकत्व संबंधी गाउस का नियम क्या रूप ग्रहण करता?
$(d)$ क्या कोई छड़ चुंबक अपने क्षेत्र की वजह से अपने ऊपर बल आधूर्ण आरोपित करती है? क्या किसी धारावाही तार का एक अवयव उसी तार के दूसरे अवयव पर बल आरोपित करता है।
$(e)$ गतिमान आवेशों के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होते हैं। क्या कोई ऐसी प्रणाली है जिसका चुंबकीय आधूर्ण होगा, यद्यपि उसका नेट आवेश शून्य है?
एक छड़ चुम्बक की चुम्बकीय बल रेखायें होती हैं
निम्न चित्र $(1)$ तथा $(2)$ में बल रेखाओं को प्रदर्शित किया गया है कौनसा कथन सत्य है
दो एकसमान लघु चुम्बक, जिनमें प्रत्येक का चुम्बकीय आघूर्ण $ 10\,Am^2$ है, इस प्रकार व्यवस्थित की जाती है, कि इनके अक्ष एक दूसरे के लम्बव्त रहें एवं इनके केन्द्र एक ही सरल रेखा के अनुदिश एक क्षैतिज तल में हों। यदि इनके केन्द्रों के बीच की दूरी $0.2\, m $ है, तो इनके बीच में मध्य बिन्दु पर चुम्बकीय प्रेरण होगा
$({\mu _0} = 4\pi \times {10^{ - 7}}\,H{m^{ - 1}})$