यदि एक सरल लोलक को पृथ्वी की सतह से किसी गहरी खदान में ले जाये तो इसका दोलनकाल

  • A

    बढ़ेगा

  • B

    घटेगा

  • C

    पहले बढ़ेगा फिर घटेगा

  • D

    उपरोक्त में से कोर्इ नहीं

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एक सरल लोलक को विषुवत रेखा पर ले जाने पर इसका दोलनकाल

किसी सरल लोलक का प्रारम्भिक आवर्तकाल $T_1$ है। जब इसका निलम्बन बिन्दु ऊध्र्वाधर ऊपर की ओर समीकरण $y = k{t^2}$ के अनुसार गति करता है तो इसका आवर्तकाल $T_2$ हो जाता है यदि $k = 1\,m/se{c^2}$ हो तो $\frac{{T_1^2}}{{T_2^2}}$ का मान होगा $g = 10\,m/{s^2})$

  • [IIT 2005]

लकड़ी के किसी बेलनाकार गुटके (ब्लॉक) की लम्बाई $54 \; cm$, तथा घनत्व $650 \; kg m ^{-3}$ है। इसके आधार का क्षेत्रफल $30 \; cm ^{2}$ है, और यह $900 \; kg m$ घनत्व वाले द्रव में तैर रहा है (प्लवमान है)। इस ब्लॉक को थोड़ा सा नीचे की ओर दबाकर छोड़ दिया जाता है। परिणाम स्वरूप उत्पत्र इसके दोलनों का आवर्तकाल, किस लम्बाई (लगभग) के सरल लोलक के आवर्तकाल के बराबर होगा ?

  • [JEE MAIN 2015]

किसी सरल लोलक का आवर्तकाल $T$ है। यदि इसे ऐसे ग्रह पर ले जाएँ जहाँ गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी का आधा तथा द्रव्यमान पृथ्वी का $9$ गुना हो तब उस ग्रह पर आवर्तकाल होगा

$L$ लम्बाई के सरल लोलक का $\frac{g}{3}$ त्वरण से नीचे जाती हुयी लिफ्ट में दोलन काल होगा