$m$ द्रव्यमान का एक पिण्ड विराम से ${t_1}$ समय में $v$ वेग प्राप्त कर लेता है। इस पिण्ड पर $t$ समय में किया गया कार्य, समय $t$ के फलन के रुप में होगा

  • A

    $\frac{1}{2}m\frac{v}{{{t_1}}}{t^2}$

  • B

    $m\frac{v}{{{t_1}}}{t^2}$

  • C

    $\frac{1}{2}{\left( {\frac{{m\,v}}{{{t_1}}}} \right)^2}{t^2}$

  • D

    $\frac{1}{2}m\frac{{{v^2}}}{{t_1^2}}{t^2}$

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एक बल $\mathop F\limits^ \to = (5\hat i + 3\hat j)\;N$एक कण पर कार्यरत है, जो कण को प्रारम्भिक स्थिति से $\mathop s\limits^ \to = (2\hat i - 1\hat j)$m तक विस्थापित कर देता है। कण पर किया गया कार्य .......... $J$ है

द्रव्यमान संख्या $A$ के परमाणु के स्थिर नाभिक से एक न्यूट्रॉन वेग $v$ तथा गतिज ऊर्जा $E$ के साथ प्रत्यास्थ प्रत्यक्ष $(Head-on)$ संघट्ट करता है। कुल ऊर्जा का वह भाग जो न्यूट्रॉन में बचा रहेगा

बल $\mathop F\limits^ \to = (5\hat i + 3\hat j)$न्यूटन एक कण पर लगाया जाता है जो इसे मूल बिन्दु से $\mathop r\limits^ \to = (2\hat i - 1\hat j)$ मीटर तक विस्थापित कर देता है। बल द्वारा किया गया कार्य  ........ $J$ होगा

$m$ द्रव्यमान की एक वस्तु $r$ त्रिज्या के वृत्त में नियत चाल $​v$ से गति कर रही है। वस्तु पर आरोपित बल $\frac{{m{v^2}}}{r}$ है तथा यह वृत्त के केन्द्र की ओर लगता है। इस बल के द्वारा परिधि पर अर्द्ध-चक्र पूर्ण करने में किया गया कार्य होगा

सही विकल्प को रेखांकित कीजिए :

$(a)$ जब कोई संरक्षी बल किसी वस्तु पर धनात्मक कार्य करता है तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है/घटती है/अपरिवर्ती रहती है।

$(b)$ किसी वस्तु द्वारा घर्षण के विरुद्ध किए गए कार्य का परिणाम हमेशा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा में क्षय होता है।

$(c)$ किसी बहुकण निकाय के कुल संवेग-परिवर्तन की दर निकाय के बाह्य बल/आंतरिक बलों के जोड़ के अनुक्रमानुपाती होती है।

$(d)$ किन्हीं दो पिंडों के अप्रत्यास्थ संघट्ट में वे राशियाँ, जो संघट्ट के बाद नहीं बदलती हैं; निकाय की कुल गतिज ऊर्जा/कुल रेखीय संवेग/कुल ऊर्जा हैं।