$1\,gm$ द्रव्यमान तथा ${10^{ - 8}}\,C$ आवेश की एक गेंद को बिन्दु $A$ जिस पर $600\, V$ विभव है से बिन्दु $B$ जिस पर विभव शून्य है तक ले जाया जाता है। बिन्दु $B$ पर गेंद का वेग $20$ सेमी./सैकण्ड़ है। बिन्दु $A$ पर गेंद का वेग होगा

  • A

    $22.8$ सेमी./सैकण्ड

  • B

    $228$ सेमी./सैकण्ड

  • C

    $16.8$ मी.टर/सैकण्ड

  • D

    $168$ मी.टर/सैकण्ड

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किसी आवेशित कण $q$ को एक दूसरे आवेशित कण $Q$ जो कि स्थिर है, की ओर वेग $v$ से छोड़ा जाता है। यह $Q$ की न्यूनतम दूरी $r$ तक उपगमन करके वापस लौट आता है। यदि $q$ को वेग $2v$ से छोड़ते, तो इसके उपगमन की न्यूनतम दूरी होती

  • [AIEEE 2004]

निर्वात में एक $1\, \mu C$ आवेश के एक कण $A$ को बिन्दु $P$ पर दृढ़ रखा है। उसी आवेश तथा $4 \,\mu g$ द्रव्यमान के दूसरे कण $B$ को $P$ से $1\, mm$ दूरी पर रखा है। $B$ को छोड़ने पर $P$ से $9\, mm$ दूरी पर उसकी गति का मान होगा? $\left[\right.$ दिया है $\left.\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}=9 \times 10^{9}\, Nm ^{2} C ^{-2}\right]$

  • [JEE MAIN 2019]

$20$ कूलॉम आवेश को $0.2\;cm$ तक लाने में किया गया कार्य $2$ जूल है। दोनों बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर है

  • [AIEEE 2002]

$m$ द्रव्यमान के एक बिन्दु आवेश $q$ को $\ell$ लम्बाई की एक डोरी द्वारा ऊर्ध्वाधर रूप से लटकाया जाता है। अब द्विध्रुव आघूर्ण $\overrightarrow{ p }$ के एक बिन्दु द्विध्रुव को अनन्त से $q$ की ओर इस प्रकार लाया जाता है कि आवेश दूर गति करता है। द्विध्रुव की दिशा, कोणों तथा दूरियों सहित निकाय की अन्तिम साम्य स्थिति नीचे चित्र में दर्शायी गई है। यदि द्विध्रुव को इस स्थिति तक लाने में किया गया कार्य $N \times( mgh )$ है, जहाँ $g$ गुरूत्वीय त्वरण है, जब $N$ का मान. . . . . . . है। (ध्यान दीजिये की बिन्दु द्रव्यमान को साम्यावस्था में बनाए रखते हुए तीन समतलीय बलों के लिए, $\frac{ F }{\sin \theta}$ सभी बलों के लिए समान है, जहाँ $F$ कोई एक बल है तथा $\theta$ अन्य दो बलों के मध्य कोण है।)

  • [IIT 2020]

मूल बिंदु पर एक $8 \,mC$ का आवेश अवस्थित है। $-2 \times 10^{-9}\, C$ के एक छोटे से आवेश को बिंदु $P (0,0,3\, cm )$ से, बिंदु $R (0,6\, cm , 9\, cm )$ से होकर, बिंदु $Q (0,4 \,cm , 0)$ तक ले जाने में किया गया कार्य परिकलित कीजिए