किर्सी गैस को समतापीय रूप से उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है। इसी गैस को पृथक रूप से रुधोषम प्रक्रिया द्वारा उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है तब
गैस को रुद्वोप्म प्रक्रिया द्रारा संपीडित करने में अधिक कार्य करने की आवश्यकता होगी
गैस को समतापीय प्रक्रिया अथवा रुद्वोप्म प्रक्रिया द्मारा ही समान कार्य करने की आवश्यकता होगी ।
चाहे समतापीय प्रक्रिया द्वारा संपीडित करें अथ्या ऊद्वोप्म प्रक्रिया द्रारा संपीडित करें, किस प्रकरण में अधिक कार्य कर्ने की आवश्यकता होगी, यह गैस की परमाणुकता पर निर्भर करेगा ।
गैस को समतापीय प्रक्रिया द्रारा संपीडित करने में अधिक कार्य की आवश्यकता होगी |
वान्डरवाल्स गैस का अवस्था समीकरण $\left(P+\frac{n^2 a}{V^2}\right)(V-n b)=n R T$ है। इसकी आंतरिक ऊर्ज $U=C T-\frac{n^2 a}{V}$ है। इस गैस के लिए स्थैतिककल्प ऐडियाबेट (quasistatic adiabat) समीकरण है
किसी आदर्श गैस को गर्ड प्रक्रमों द्रारा इसके प्रारंभिक आयतन के आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है। किस प्रक्रम में गैस पर अधिकतम कार्य करना होगा ?
किसी प्रक्रम में $dW$ किया गया कार्य तथा $dU$ आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन है। किस प्रक्रम के लिए $dW + dU = 0$ सत्य है
एक गैस, जिसका प्रारंभिक तापमान $T$ है, को आकस्मिक प्रसार के द्वारा आयतन $V$ से $2 V$ पर लाया जाता है. तब
एक ही गैस $(\gamma = 3/2)$ के तीन नमूनों $A, B$ एवं $C$ के प्रारंभिक आयतन समान हैं। अब प्रत्येक नमूने का आयतन दोगुना कर दिया जाता है, $A$ के लिए प्रक्रम रुद्धोष्म, $B$ के लिए समदाबी एवं $C$ के लिए समतापी है। यदि तीनों नमूनों के अन्तिम ताप समान हैं, तब इनके प्रारम्भिक दाबों का अनुपात होगा