एक कण किसी दी गई त्रिज्या $R$ के वृत्तीय पथ पर नियत कोणीय वेग से गति करता है तथा इस पर अभिकेन्द्रीय बल $F$ क्रियाशील रहता है। यदि कोणीय वेग वही रहे किन्तु त्रिज्या आधी कर दें, तो नया बल होगा
$2F$
${F^2}$
$F/2$
$F/4$
एक कण नियत कोणीय वेग से वृत्तीय पथ पर गति कर रहा है। गति के दौरान
टेकोमीटर (Techometer) वह युक्ति है, जिससे मापा जाता है
$900$ ग्राम द्रव्यमान के एक पत्थर को एक डोरी में बाँधकर एक ऊर्ध्वाधर $1$ मी. त्रिज्या के वृत्त में घुमाया जाता है जो $10$ चक्कर प्रति मिनट पूरे करता है तब पत्थर निम्नतम (निचले) बिन्दु पर हो तो डोरी में तनाव है: (यदि $\pi^2=9.8$ तथा $g=9.8$ मी.ससे. ${ }^2$ )
$10 \,kg$ तथा $5\, kg$ की दो वस्तुयें क्रमश: $R$ तथा $r$ त्रिज्या के संकेन्द्रीय वृृत्तों में समान आवर्तकाल से गति कर रही हैं। उनके अभिकेन्द्रीय त्वरण का अनुपात होगा
एक शांकव (conical) दोलक, जिसकी लम्बाई $1\; m$ है और जो $Z-$अक्ष से $\theta=45^{\circ}$ के कोण पर हैं, $X Y$ समतल में एक गोलाकार पथ में चलता है। गोलाकार पथ की त्रिज्या $0.4\; m$ है और उसका केन्द्र बिन्दु $O$ के ठीक नीचे है। उस दोलक की गति गोलाकार पथ में होगी : $\left(g=10 \;ms ^{-2}\right)$