एक कण किसी दी गई त्रिज्या $R$ के वृत्तीय पथ पर नियत कोणीय वेग से गति करता है तथा इस पर अभिकेन्द्रीय बल $F$ क्रियाशील रहता है।  यदि अभिकेन्द्रीय बल $F$ को नियत रखें परन्तु कोणीय वेग को दोगुना कर दें, तो पथ की नई त्रिज्या होगी (वास्तविक त्रिज्या $R$ है)

  • A

    $2R$

  • B

    $R/2$

  • C

    $R/4$

  • D

    $4R$

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एक कण $P$ घर्षण विहीन अर्द्धगोले में फिसल रहा है। $t = 0$पर यह बिन्दु $A$ से गुजरता है तथा इस समय इसके वेग का क्षैतिज घटक $v$ है। समान द्रव्यमान के अन्य कण $Q $ को $t = 0$ पर बिन्दु $A$ से क्षैतिज डोरी $AB $ के अनुदिश $v$ वेग से प्रक्षेपित किया जाता है (चित्रानुसार) $Q$ तथा डोरी के मध्य कोई घर्षण नहि यदि $P$ तथा $Q$ कणों को $B$ बिन्दु तक पहुँचने में लगे समय क्रमश:${t_P}$तथा ${t_Q}$हों तो

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एक गोलक को डोरी से क्षैतिज तल में इस प्रकार घुमाया जाता है कि इसकी प्रारम्भिक चाल $\omega \mathrm{rpm}$ है। डोरी में तनाव $T$ है। यदि त्रिज्या को समान रखकर चाल $2 \omega$ हो जाती हो तो डोरी में तनाव होगा:

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एक बिन्दु $P$ एक वृत्तीय पथ पर वामावर्ती दिशा में गतिशील है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। $P$ की गति इस प्रकार है कि वह लम्बाई $s=t^{3}+5$ घेरता है, जहाँ $s$ मीटर में है और $t$ सेकण्ड में है। पथ की त्रिज्या $20$ मी है। जब $t=2 s,$ तब $P$ का त्वरण .......... $m/s^2$ लगभग है।

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