$m$ द्रव्यमान के एक बिन्दु आवेश $q$ को $\ell$ लम्बाई की एक डोरी द्वारा ऊर्ध्वाधर रूप से लटकाया जाता है। अब द्विध्रुव आघूर्ण $\overrightarrow{ p }$ के एक बिन्दु द्विध्रुव को अनन्त से $q$ की ओर इस प्रकार लाया जाता है कि आवेश दूर गति करता है। द्विध्रुव की दिशा, कोणों तथा दूरियों सहित निकाय की अन्तिम साम्य स्थिति नीचे चित्र में दर्शायी गई है। यदि द्विध्रुव को इस स्थिति तक लाने में किया गया कार्य $N \times( mgh )$ है, जहाँ $g$ गुरूत्वीय त्वरण है, जब $N$ का मान. . . . . . . है। (ध्यान दीजिये की बिन्दु द्रव्यमान को साम्यावस्था में बनाए रखते हुए तीन समतलीय बलों के लिए, $\frac{ F }{\sin \theta}$ सभी बलों के लिए समान है, जहाँ $F$ कोई एक बल है तथा $\theta$ अन्य दो बलों के मध्य कोण है।)

223798-q

  • [IIT 2020]
  • A

    $0$

  • B

    $1$

  • C

    $2$

  • D

    $3$

Similar Questions

जब $3$ कूलॉम आवेश को एकसमान विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है तो यह  $3000$ न्यूटन बल अनुभव करता है। $1$ सेमी की दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर ......वोल्ट है

एक $\alpha  - $कण $70\,V$ वाले किसी बिन्दु से $50\,V$ वाले बिन्दु तक जाता है, इसके द्वारा कितनी गतिज ऊर्जा प्राप्त की जायेगी

$20$ कूलॉम आवेश को $0.2\;cm$ तक लाने में किया गया कार्य $2$ जूल है। दोनों बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर है

  • [AIEEE 2002]

एक इलेक्ट्रॉन निम्न विभव क्षेत्र ${V_1}$ से उच्च विभव क्षेत्र ${V_2}$ में प्रवेश करता है। इसका वेग

नीचे दिए गए चित्र में एक आवेश विन्यास जिसे विध्यूत चतुर्ध्रुवी कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुर्ध्रुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिंदु के लिए $r$ पर विभव की निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ $r / a>>1$ । अपने परिणाम की तुलना एक विध्यूत द्विध्रुव व विध्यूत एकल ध्रुव (अर्थात् किसी एकल आवेश ) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।