एक रेडियोसक्रिय नाभिक (प्रारंभिक द्रव्यमान संख्या $A$ तथा परमाणु क्रमांक $Z)$ $3 \alpha -$कण और $2$ पॉजिट्रॉन उत्सर्जित करता है। परिणामी नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या का प्रोट्रॉनों की संख्या से अनुपात होगा
$\frac{{A - Z - 4}}{{Z - 2}}$
$\frac{{A - Z - 8}}{{Z - 4}}$
$\frac{{A - Z - 4}}{{Z - 8}}$
$\frac{{A - Z - 12}}{{Z - 4}}$
यदि $20$ ग्राम रेडियोसक्रिय पदार्थ $4$ मिनट में रेडियोएक्टिव क्षय के कारण $10$ ग्राम रह जाता है तो उसी पदार्थ का $80$ ग्राम कितने समय में $10$ ग्राम रह जायेगा
एक रेडियोधर्मी अभिक्रिया $_{92}{U^{238}}{ \to _{82}}P{b^{206}}$ में उत्सर्जित $\alpha $ और $\beta $ कणों की संख्या है
अर्द्धआयु काल मापा जाता है
यदि $t_{1/2}$ पदार्थ की अर्द्ध आयु है तब $t_{3/4}$ वह समय है, जिसमें पदार्थ का
दो रेडियोधर्मी पदार्थो $A$ तथा $B$ के क्षय नियतांक, क्रमशः $10 \lambda$ तथा $\lambda$ है। यदि आरम्भ में उनके नाभिकों की संख्या बराबर हो तो कितने समय बाद $A$ तथा $B$ के नाभिकों की संख्या का अनुपात $1 / e$ होगा।