किसी लोलक का गोलक एक क्षैतिज अवस्था से छोड़ा जाता है। लोलक की लम्बाई $10$ मी. है। सबसे निचले बिन्दु पर पहुँचने पर गोलक की चाल क्या होगी जबकि इसकी प्रारम्भिक ऊर्जा का $10 \%$ वायु प्रतिरोध के विरुद्ध व्यय होता है :
[दिया है, $\mathrm{g}: 10 \mathrm{~ms}^{-2}$ ]
$6 \sqrt{5} \mathrm{~ms}^{-1}$
$5 \sqrt{6} \mathrm{~ms}^{-1}$
$5 \sqrt{5} \mathrm{~ms}^{-1}$
$2 \sqrt{5} \mathrm{~ms}^{-1}$
सरल लोलक की लम्बाई में $2\% $ की वृद्धि कर देने पर उसके आवर्तकाल में
एक सरल लोलक को एक ऐसे स्थान पर रखा गया है कि इसकी पृथ्वी तल से दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के समान है। यदि डोरी की लम्बाई $4$ मी. हो, तो सूक्ष्म दोलन का आवर्त काल से होगा। [दिया है, $\mathrm{g}=\pi^2 \mathrm{~ms}^{-2}$ ]
यदि सरल लोलक का धातु का बना गोलक, लकड़ी के गोलक से बदल दिया जाए तब इसका आवर्तकाल
यदि एक सरल लोलक की लम्बाई $9 $ गुना एवं इसके गोलक का द्रव्यमान $4$ गुना कर दें तो इसका दोलनकाल हो जायेगा ($T =$ प्रारम्भिक दोलनकाल)
सरल लोलक की लम्बाई तथा उसके आवर्तकाल के बीच सही ग्राफ है